Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 531
________________ ४७२) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ BHERA EVES A0 भांडवपुर जैन देरासरजी मूलनायक श्री महावीर स्वामी मूलनायक सहित तीन प्रतिमाजी ऋषभदेव ! हितकारी जगतगुरु ! ऋषभदेव ! हीतकारी; प्रथम तिर्थंकर प्रथम नरेसर, प्रथम यति व्रतधारी.... वरसीदान देइ तुम जगमें, इलति इति नीवारी; तैसी काही करतु नाही कस्ना, साहिब बेर हमार...२ मागत नही हैम हाथी धोरे, धन कन कंचन नारी; दीओ मोहि चरन कमलकी सेवा, प्याही लागत मोही प्यारी...३ भवलीलावासित सुर डारे, तुं पर सब ही उवारी; में मेरो मन निश्चल कीनो, तुम आणा शिर धार ...जगत ४ असो साहिब नहि कोउ जगमें, यासु होय दिलधारी; दिल ही दला प्रेम के बीचें, तिहां हठ खेंचे गमारी....५ तुम हो साहिब में हुं बंदा, या मत दीयो वीसारी; श्री नयविजय विबुध सेवक के, तुम हो परम उपकारी..६

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