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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
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भांडवपुर जैन देरासरजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
मूलनायक सहित तीन प्रतिमाजी
ऋषभदेव ! हितकारी जगतगुरु ! ऋषभदेव ! हीतकारी;
प्रथम तिर्थंकर प्रथम नरेसर, प्रथम यति व्रतधारी.... वरसीदान देइ तुम जगमें, इलति इति नीवारी;
तैसी काही करतु नाही कस्ना, साहिब बेर हमार...२ मागत नही हैम हाथी धोरे, धन कन कंचन नारी; दीओ मोहि चरन कमलकी सेवा, प्याही लागत मोही
प्यारी...३
भवलीलावासित सुर डारे, तुं पर सब ही उवारी; में मेरो मन निश्चल कीनो, तुम आणा शिर धार
...जगत ४ असो साहिब नहि कोउ जगमें, यासु होय दिलधारी;
दिल ही दला प्रेम के बीचें, तिहां हठ खेंचे गमारी....५ तुम हो साहिब में हुं बंदा, या मत दीयो वीसारी; श्री नयविजय विबुध सेवक के, तुम हो परम
उपकारी..६