Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 539
________________ ४८०) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-५ A डुंगरपुर जिला १. डुंगरपुर तीर्थ मूलनायक श्री आदीनाथजी यहाँ माणेक चोक में श्री आदीनाथजी बावन जिनालय देरासर है । सं. १५२६ में शेठ सांवलदास दावडा ने जिनमंदिर बनाकर रत्न सू. म. के शिष्य उदयवल्लभ सू. म. तथा मानसागर सू. म. के पुनित हस्तों से विशालकाय पंचधातु की मूर्ति की प्रतिष्ठा की थी। मुसलमानो के समय में इस मूर्ति को सोने की जानकर क्षति पहुंचाई थी । ईस लिये वहाँ आरस की प्रतिमाजी बिठाई गई है । पर उसका पंचधातु का परिकर हाल में है । जीस पर सं. १५२६ लिखा गया है । परिकर में ७२ प्रतिमाजी है । पबासण में १४ स्वप्न ९ ग्रह और यक्ष यक्षिणी है । पद्मनाथ स्वामि की बड़ी प्रतिमा एक देरी में है। श्री शांतिनाथजी का देरासर भी पूराना है। यह दोनों देरासर वीशा उम्मड़ संघ हस्तक है। गंभीरा पार्श्वनाथजी २४ जिनालय है । उसकी प्रतिष्ठा सं. १३१२ में संपन्न हुई थी । श्री महावीर स्वामी देरासरजी की प्रतिष्ठा सं. १४८० में संपन्न हुई थी उसमें लेख है कि कलिकाल सर्वज्ञ पू. हेमचंद्र सू. म. के परिवार में आ. श्री लक्ष्मीचंद्र सू. म. ने प्रतिष्ठा की है। नये देरासर में परिकर और प्रतिमाजी दोनों श्यामवर्ण है । जो बस स्टेन्ड की निकट में है । वहाँ आराधना भवनमें उतरने की सुविधा है । पोरवाड संघ हस्तक तीन देरासरजी है। राजस्थान का यह वागड़ प्रदेश है। सोलहवीं सदी में ओसवाल पराक्रमी मंत्री शालाशाह ने भव्य पार्श्वनाथ मंदिर बनाया था। जो पुराने पाटी महोल्ले में आया है । शालाशाह राजा गोपीनाथ और सोमदास के मुख्यमंत्री थे । जिन्होंने उपद्रवकारी भीलों को परास्त किया था । उस समय यह बड़ा नगर था । जैनों के यहाँ ७०० घर थे। केसरीयाजी तीर्थ ३२ कि.मी. के अंतर पर है । अहमदाबाद-उदयपुर रोड़ पर से खेरवाड़ा होकर जा सकते है । यहाँ माणेक चौक में पेढ़ी और धर्मशाला है। अनियमीयो ifra सिद्धाचळना वासी जिनने क्रोडो प्रणाम, • जिनने क्रोडो प्रणाम. आदिजिनवर सुखकर स्वामी, तुम दर्शनथी शिवपद गामी; थया छे असंख्य जिनने क्रोडो प्रणाम, सिद्धा.१ विमलगिरिना दर्शन करतां, भवोभवना तम तिमिर हरता; आनंद अपार, जिनने क्रोडो प्रणाम. सिद्धा. २ हुं पापी छु नीचगतिगामी, । कंचनगिरिनुं शरणुं पामी तरशुं जरूर, जिनने क्रोडो प्रणाम. सिद्धा. ३ अणधार्या आ समयमां दर्शन, करतां हृदय थयुं अति परसन; जीवन उज्जवल, जिनने क्रोडो. प्रणाम सिद्धा. ४ गोडी पार्श्व जिनेश्वर केरी, करण प्रतिष्ठा विनति धणेरी; । दर्शन पाम्यो मानी, जिनने क्रोडो प्रणाम सिद्धा. ५ संवत ओगणीशे नेवू वरसे, सुद पंचमी कर्या दर्शन हर्षे, मळ्यो ज्येष्ठ शुभमास, जिनने क्रोडो प्रणाम. सिद्धा ६ आत्म कमलमां सिद्धगिरि ध्याने, जीवन भळशे केवळज्ञाने; लब्धिसूरी शिवधाम, जिनने क्रोडो प्रणाम. सिद्धाचळना वासी जिनने क्रोडो प्रणाम. ७,

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