Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 544
________________ वेदेश विभाग : मोम्बासा - केन्या (४८५ AT मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी शिलान्यास विधि श्री यशोदाबेन पोपटलाल पदमशी के वरद् हस्तों से दाहिने गर्भगृह के मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी ता.१५-१-१९७६ के शुभ दिन को हुई। बाँये गर्भगृह के मूलनायक श्री शांतिनाथजी जामनगर ओशवाल कोलोनी देरासरजी की प्रतिमाजी का वीसा ओशवाल ज्ञाति नाईरोबी द्वारा यह देरासर अंजन शलाका महोत्सव प्रसंग पर आ. श्री वि. जिनेन्द्र सूरिश्वरजी तैयार हुआ है। म. के मार्गदर्शन मुताबिक नूतन मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी ___ आफ्रिका में सब से पहले जंगबार (झांझिबार) में सं. १९७७ प्रभुजी आदि ६ जिन बिंबो की अंजन शलाका पू. आ. श्री विजय में कच्छी मूर्तिपूजक संघ द्वारा यह पहला देरासर हुआ था । सोमचंद्र सू. म. और पू.आ. श्री विजय जिनेन्द्र सू. म. के शुभ हस्तों नाईरोबी में सने १९०८ में पहला स्वामी वात्सल्य हुआ तब १०० से संपन्न हुई। इस अवसर पर नाईरोबी से श्री खीमाजी वजा शाह, भाई-बहन थे । सने १९१३ में सब से पहली दफा पर्युषण त्यौहार श्री मेघजी हंसराज, श्री मोहनलाल देवराज, श्री अमृतलाल अच्छी तरह से मनाया गया । सने १९१८ में फूलचंद करमशी और कालिदास, श्री गुलाबचंद भारमल शाह का एक प्रतिनिधि मंडल श्री रायचंद करमशी की धर्मभावना से जैन ज्ञान वर्धक मंडल की आया था । यह प्रतिमाजी एरपोर्ट से ता.११-११-८३ के दिन स्थापना हुई पहले प्रमुख श्री देवजी हीरजी शाह थे । श्री वीरजी ओशवाल स्कूल में पधराई गई थी और ता.१२-११-१९८३ के भव्य नरसी शाहने उस समय दरम्यान जैनशाला द्वारा धार्मिक प्रवृत्ति का और वरघोडा के साथ श्री प्रतिमाजी का नगर प्रवेश सवेरे सवा नव विकास किया सने १९२६ में केनाल रोड पर जैनशाला के लिये बजे किया गया और श्री प्रतिमाजी का गर्भगृह प्रवेश बड़े धामधूम और जगा लेकर जैनशाला बंधवाई सने १९२८ में फूलचंद करमशी उत्साह के साथ हुआ तीन गर्भगृह में ३-३ ऐसे कुल ९ प्रतिमाजी का शाहने मुंबई गोडीजी (पार्श्वनाथ) देरासर से धातु के प्रतिमाजी लाये भव्यता के साथ प्रवेश हुआ। उसके बाद देरासर की शुरुआत की सन १९५७ में जैनशाला में घर यह भव्य और ऐतिहासिक महोत्सव साथ सं. २०४३ के महा देरासर तैयार हुआ ता.२२-८-१९५७ के दिन आरस की तीन सुद ९ के दिन प्रतिष्ठा संपन्न हुई। यह प्रसंग पर केन्या (आफ्रिका) प्रतिमाजी मूलनायक श्री महावीर स्वामी, ऋषभदेवजी और उपरांत भारत के दूसरे भागों से यु.के. और अमेरिकासे बड़ी तादाद शांतिनाथजी, वेरसी मेपा शाह की ओर से अर्पण किये और उन्हे में भाविकगण आये थे और अपूर्व प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ बिराजमान किया गया। था । यह देरासर भव्य तीर्थस्य बन गया है। ता.२८-८-१९७१ में झांझीबार से लाये गये मूलनायक श्री यहाँ जिन शाला में श्री महावीर स्वामी देरासरजी है । भाई श्री पार्श्वनाथजी, श्री शांतिनाथजी और श्री महावीर स्वामी की प्रतिमाएं मेघजी और वेलजी वीरजी दोढिया के घर पर श्री संभवनाथ श्री महाजनवाड़ी में बिराजमान की गई। देरासरजी है और श्री हंसराज पोपट हरणिया के वहाँ घर देरासरजी महाजनवाड़ी में देरासर की खननविधि श्री रायशी नथु शाह है और यह सब जगा पर भाविक श्रावक पूजा भक्ति स्नात्र आदि के वरद् हस्तों से ता.११-१-७६ के शुभ दिन को हुई और लाभ लेते है । AN मोम्बासा - केन्या मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु दाहिने ओर श्री आदीश्वर प्रभु बाँये और श्री महावीर प्रभु श्री जैन श्वेताम्बर देरावासी संघ मोम्बासा (केन्या) प्रतिष्ठा सं. २०२० श्रावण सुद६ ता.२६-७-६३ शुक्रवार के दिन संपन्न १ 27

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