Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 536
________________ (४७७ राजस्थान विभाग : १३ नागोर जिला सससससससस - - - - - - - - १. नागोर HALMEDIA देरासर का प्रवेश द्वार मूलनायक श्री आदीनाथजी मूलनायक श्री आदीनाथजी १ श्री आदीश्वरनाथजी परिकर युक्त प्रतिमा ४०० साल पूरानी है । तीन गर्भगृह है । दूसरे बड़े मंदिर के नाम से प्रसिद्ध २ श्री ऋषभदेवजी का मंदिर नया है । जीसमें तीन गर्भगृह है। ३ श्री शांतिनाथजी का गृह मंदिर है । १० स्तंभवाला बड़ा रंगमंडप है अष्टापदजी की उपर चौमुख सं. १५१५ में बनाया है। एक नया मंदिर दादावाडी में बनाया जा रहा है जो एक मात्र शिखरबंध है । एक धातु की प्रतिमाजी पर सं. १२१६ का लेख यह प्राचीन नगरी है । इ.सं. ९१९ में श्री कल्हण मुनि ने महावीर भगवान के मंदिर की प्रतिष्ठा की थी ऐसा उल्लेख है । उनके शिष्य जयसिंह सू. म. ने आमराजा के पौत्र राजा भोज के समय में यहाँ रचा हुआ धर्मउपदेश माला में अनेक मंदिर बतायें है । सतरहवीं सदी में विशालसिंह सूरि द्वारा रचा हुआ नागोर चैत्य परिपाटी में सात मंदिर बताये गये है । १२ वीं सदी में यहाँ वादीदेव सू.म. पधारे थे । तब राजा अर्णोराजने बड़ा उत्सव मनाया था कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्र सू. म. के श्रेष्ठि धननंदने बड़े समारोह के साथ यहाँ आचार्यपद प्रदान किया था । जिनलब्धि सूरी म. की यह स्वर्गभूमि है । पायचंद गच्छ की स्थापना यहाँ हुई है। यहा १२ वीं सदी में शाह बरदेव पल्लीवाल नामके श्रावक हुएं थे उनके पुत्र आसधर और लक्ष्मीधर वे दोनों भाईओंने और उनके पुत्र नेमड, आभट, माणिक, सलखण, थिरदेव, गुणधर, जयदेव, भुवणा यह सबने श्री शत्रुजंय, गिरनार, आबु देलवाड़ा, जालोर, तारंगा, पालनपुर, पाटन, चास्प आदि अनेक तीर्थो का जिर्णोद्धार का काम किया था । करीब १००० घर जैनों के है । श्वे. मू. जैन के ३०० घर है। रेल्वे स्टेशन की पास धर्मशाला है। श्री अमरचंद मांणेकचंद बेताला तपागच्छीय जैन भवन में सूचना देने से भोजन की व्यवस्था हो शकती है । नागोर रेल्वे स्टेशन से २ कि.मी. के अंतर पर है। ठिकाना जैन श्वे. मंदिर, मार्गी ट्रस्ट, काचवाला बड़ा जैन मंदिर, नागोर. (राजस्थान) - - - ४ ऋषभदेवजी का काच का मंदिर बहुत ही सुंदर है । निकट में अलग देरी में पार्श्वनाथजी की सुंदर मूर्ति है । ऋषभदेवजी की धातु की प्रतिमा २७ इंच से बड़ी लगती है । तेजस्वी भी है । प्राचीन आदीनाथजी पूराने मुलनायक अलग देरी में है । जो राजा संप्रति के समय के है । सब से प्राचीन यह मूर्ति है । काच का मंदिर और रंगमंडप रंगीन कलाकृति वाला है। शेजूंजय पट्ट है नागोर रेल्वे स्टेशन निकट में श्री चंद्रप्रभस्वामी का मंदिर है । दाहिने गर्भगृह में सुधर्मा स्वामी - बाँये ओर गर्भगृह में जंबु स्वामि के आगे बाँये ओर श्री शांतिसूरीजी कीमूर्ति है। - - - - -

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