Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 471
________________ ४१२) केशरीयाजी श्री ऋषभदेवजी TS! मन्दिर भगवान केसरियाजी श्री केशरियानाथजी नमः आंगी बनी छे प्रभु आजनी रळीयामणी, श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ आदिजिन भेटो अलबेलडा. १ उज्जवल मंदिरो नयणे निहाळता, ज्ञानदिवाकर वंदन करतां, चित्त पामे छे. विसरामरे. आदिजिन. २ रायण पगला पुंडरीकस्वामी, सिध्यां अमारा काम रे. आदी.. ३ केशरीयाजी तीर्थ जैन देरासरजी तिमिर हटाकर तेज दिखाया, दीठा में सिद्धगिरि स्वामरे, दर्शन कीधां अभिराम रे. आदि. ४ तीर्थ शत्रुंजये सिध्या अनंता, मोह मदिरा वाम रे. आदि. ५ धर्म ताहरो प्रभु दिल मेरे वसियो, गावो रे गिरिगुण ग्राम रे आदि. ६ सुयश वा शिव धाम रे. आदि. ७.

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