Book Title: Shrutsagar Ank 2013 05 028
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ दंडक विचार गर्मित पार्श्वजिन स्तवन हिरेन दोशी तत्त्व अने पदार्थोने जिन गुण स्तवनाना माध्यमे वणी लेवा ए मध्यकाळना साहित्यनी आगवी विशेषता रही छे. एनाथी भक्ति अने साहित्यनो सुभग समन्वय थयो छे, आवी ज एक लघु रचना श्री पार्श्वचंद्रसूरि कृत दंडक पदार्थ गर्भित पार्श्व जिन स्तवन अत्रे प्रस्तुत छे. दुहा छंदनी आ कृति कुल २३ कडीनी रचना छे. कविए गुण स्तवन प्रगटीकरणना माध्यमे दंडकना पदार्थोने कहेवानी तक लीधी छे. दंडकना पदार्थोनी साथे साथे भक्तिने साधवानी वात आ कृतिना माध्यमे कविए प्रस्तुत करी छे. कवि पार्श्वनाथ भगवानने प्रणाम करी, चार गतिना दुखमाथी छोडाववानी वात करी आ कृतिनो प्रारंभ करे छे. तारी आज्ञानो हृदयथी स्वीकार करवाथी भव भ्रमणना दुखथी छुटवानी वात करी परमात्मा प्रत्येनी श्रद्धा कविए व्यक्त करी छे. ____ अनंतकाळे प्राप्त थनार मनुष्य भवनी महत्ता दर्शावी, त्रीजी कडीथी कवि दंडकना पदार्थो तरफ कृति आगळ वधे छे. भव भ्रमणना निवेदन रूपे दंडकना पदार्थोने कविए स्तवनना माध्यमे प्रस्तुत कर्या होवाथी निवेदनना अंते कवि परमात्माने 'मुजनइ अवर नहीं आधार' लखी प्रभु भक्तिनी मार्मिक अभिव्यक्ति रजू. करी छे, 'अन्यथा शरणं नास्ति' नो ध्वनि अहीं गुंजे छे. कर्ता परिचय: आबू पासेना हमीरपुरमा शेठ वेलजीना पत्नी विमलानी कूखे वि.सं. १५७३मां एमनो जन्म थयो हतो. तेमणे साधुरत्न पासे वि.सं. १५४६मां दीक्षा लीधी, वि. सं. १५५४मां नागोरम उपाध्यायपदवी मेळवी. तेमज वि. सं. १५९९मां तेमने भट्टारक पद प्राप्त कर्यु. वि. सं. १६१२ना मागसर सुदमां तेमनो जोधपुर मुकामे स्वर्गवास थयो. वि. सं. १५७२मां तेमणे ११ बोलनी प्ररूपणा करी, पायचंद मत चलाव्यो. जे समय जतां पायचंद गच्छ नामथी जाहेर थयो, तेमणे घणा आगमोना टबाओ लख्या छे. वि. सं. १५८८मां तेमणे श्रेणिकरासनी रचना करी,तेमज लोंकागच्छना For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36