________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समाचार सार परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में लोढाधाम प्रतिष्ठा महोत्सव एवं ग्रन्थ षष्ट विमोचन समारोह हर्षोल्लास
पूर्वक सम्पन्न परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य भगवन्त श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की निश्रा में आयोजित महाविदेह के महाप्रभु श्री सीमंधरस्वामी की प्रतिमा का अंजनशलाका प्राणप्रतिष्ठा महा-महोत्सव दिनांक २२ अप्रैल, २०१३ से २७ अप्रैल, २०१३ तक अनेक धार्मिक विधि-विधानों के साथ प्राचीन धार्मिक परम्परा के अनुरूप मनाया गया।
मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर मुंबई के पास नवनिर्मित लोढाधाम में दिनांक २६ अप्रैल, २०१३ को चतुर्विध श्रीसंघ की उपस्थिति में शुभलग्न-शुभमुहूर्त में प्रतिष्ठा विधि पूज्य आचार्य भगवन्त ने सम्पन्न की। उस समय भारत भर के विभिन्न भागों से पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने जिनशासन एवं श्री सीमंधरस्वामी की जय-जयकार से संपूर्ण वातावरण को गुंजायमान कर दिया। जैसे ही जिनालय पर ध्वजा लहराई, लोगों ने तालियाँ बजाकर महाविदेह के महाप्रभु श्री सीमंधरस्वामी की जय-जयकार करते हुए नाचने-गाने लगे। अतीव आल्हादक दृश्य उपस्थित हो रहा था, चारों ओर मंगलगीत व नगारों की आवाज सुनाई दे रही थी। स्त्रीपुरुष, आबाल-वृद्ध सभी अपने आपको धन्य मान रहे थे, जिन्होंने इस मंगलकारी दृश्य का दर्शन किया वे अपने आपमें धन्य-धन्य हो रहे थे।
परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य भगवन्त श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब तथा राजस्थान दीपक परम पूज्य आचार्य श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब आदि अनेक साधु-साध्वीजी भगवन्त अपने विशाल शिष्य परिवार के साथ इस मंगलमयी अवसर पर लोढ़ाधाम में बिराजमान थे। प्रतिष्ठा विधि के पश्चात् धर्मसभा का आयोजन किया गया जिसमें परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब के शिष्य परम पूज्य पंन्यास श्री अजयसागरजी महाराज साहब ने अपने मंगलप्रवचन में श्रुत की महिमा को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया। परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य भगवन्त श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब ने अपने मंगल आशीर्वचन में जैनधर्म की महिमा को उजागर करते हुए इसे विश्वधर्म बताया। श्री संवेगभाई लालभाई. प्रमुख श्री आनन्दजी कल्याणजी ट्रस्ट ने भी धर्मसभा को सम्बोधित किया। श्रीमती मंजु देवी लोढ़ा ने अपने सुमधुर कण्ठ से लालित्यपूर्ण कविता के द्वारा उपस्थित चतुर्विध श्रीसंघ के प्रति आभार प्रकट किया। इस मंगलमय अवसर पर
For Private and Personal Use Only