Book Title: Shrutsagar Ank 2013 05 028
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ मई - २०१३ श्री मंगलप्रभातजी लोढा ने महाराष्ट्र में सूखाग्रस्त क्षेत्र के सहायतार्थ मुख्यमंत्री राहत कोश में ढाई करोड़ रुपये का दान किया। उपस्थित जन समुदाय ने श्री लोढ़ा परिवार के सत्कार्य की खूब-खूब अनुमोदना की। धर्मसभा में परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की प्रेरणा से संस्थापित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा, गांधीनगर से प्रकाशित कैलास श्रुतसागर ग्रन्थसूची खण्ड १४ व १५, शान्तसुधारस भाग १ से ३ एवं रास पद्माकर ग्रन्थ २ का श्री मंगलप्रभातजी लोढ़ा एवं श्री संवेगभाई लालभाई ने विमोचन किया। लोढ़ाधाम प्रतिष्ठा महामहोत्सव के शुभ अवसर पर नवनिर्मित जिनालय, आराधना भवन, ग्रन्थालय आदि को रंग-बिरंगे रौशनी से सजाया गया था। दीपों की जगमग करती प्राकृतिक रौशनी में स्नान करता श्वेत संगमरमर का विशाल जिनालय अद्भुत छटा बिखेर रहा था । यहाँ आने वाले अतिथियों का कुमकुम से तिलक कर स्वागत किया गया, प्राचीन परम्परानुसार सुमधुर भोजन कराया गया, शीतल जल एवं अन्य पेय पदार्थों की सुन्दर व्यवस्था की गई थी। जस्टिस श्री गुमानमलजी लोदा के सुपुत्र श्री मंगलप्रभातजी लोढा, विधायक (महाराष्ट्र विधानसभा) द्वारा मुंबई के पास भायंदर तथा नायगाँव के बीच अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर नवनिर्मित लोढाधाम में भगवान सीमंधरस्वामी के श्वेत संगमरमर से निर्मित भव्य त्रिशिखरीय जिनालय के साथ साधु-साध्वीजी भगवन्तों के लिये विशाल आराधना भवन, पाँच लाख पुस्तकों की क्षमतायुक्त आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण विशाल धर्मग्रन्थागार, जैन सिद्धान्तों के अनुकूल भोजनशाला, विशाल सभाकक्ष आदि का निर्माण कराया गया है। श्री मंगलप्रभातजी लोढा संस्कार सम्पन्न एवं प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी हैं। समाजसेवा एवं जरुरतमंदों की सेवा तो जैसे उन्हें अपने पिता से विरासत में ही मिली है। इनकी धर्मपत्नी सुश्राविका मंजुदेवी लोढ़ा साहित्यरसिक, भावनाशील एवं उदारहृदया सन्नारी हैं। इनको धर्म, समाज, शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति का संगम कहा जा सकता है। कुशल गृहिणी के साथ संवेदनशील कवियत्री भी हैं। भव्य जिनालय प्रतिष्ठा महामहोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि सभी कार्यक्रम सादगीपूर्ण थे.जो आने वाले अनेक वर्षों तक लोगों के मानस पटल पर अंकित रहेंगे। अन्य प्रतिष्ठा समारोहों में अनावश्यक प्रदर्शन पर होने वाले खर्च को रोक कर उस धन का गरीबों एवं जरुरतमंदों के बीच वितरित करने के लोदा परिवार के विचार को उपस्थित सभी लोगों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रतिष्ठा महोत्सव में उपस्थित धर्मप्रेमियों ने इस आयोजन को एक अलग, अनोखा एवं अद्भुत महोत्सव बताया। For Private and Personal Use Only

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