Book Title: Shrutsagar Ank 2013 05 028
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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गति आगति व्यंतर ज्योतिष, भवणेसर सुरवर सारिखी । पांच गतिनइ आगति दोइ, प्रवचनवचन विमासी जोइ || १८ ||
दुन्नि कल्प सौधर्म - ईसाण, पंचय गति आगति बिहु जाणि । आदिइ देइ सनतकुमार, ऊपरि अष्टम सहसार ||१९||
पंचेद्री तियच विचारि, मानव दंडक बेहू मझारि । जाइ अनइ आवइ ते वली, इम बोल्यउं प्रवचनि केवली || २० ॥
मई २०१३
कल्पच्यारि एथी ऊपिल्या ग्रैवेयक अणुत्तर भला । मानव भवनउ दंडक एक, गति आगतिनउ कहिउ विवेक ||२१||
इम चउवीसइ दंडक भम्यु, आलइ मानव भवनी गम्यु । हिव आव्यु तुम्ह सरणा भणी, बंधन छोडि न त्रिभुवनधणी ।।२२।।
सामी सेवकनइ साधारि, मुझनइ अवर नहीं आधार । पासचंद करजोडी कहइ, प्रभु प्रसादि परमारथ लहइ || २३ ||
|| इति चउवीसद्दंडकस्तवनं समाप्तः ।।
ज्ञानमंदिरनां नवा प्रकाशनो
कथादीप
* नैन बहे दिन रैन
* सुप्रभातम्
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* कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूचि भाग १४-१५
* रास पद्माकर २
शांतसुधारस (आचार्य श्री विजय भद्रगुप्तसूरिजी लिखित ) भाग १ - २-३
ज्ञानमंदिरना आगामी प्रकाशनो
: आचार्य श्री विजय भद्रगुप्तसूरि
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