Book Title: Shrutsagar Ank 2013 05 028
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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सीमंधरा ! मुज जीवनमां केवा भयंकर दोष छे
मद मान माया छोडावजे अंतर तणो उद्घोष छे कृपा करी हे नाथ! तुं ऊच्छेदजे मुज वासना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना || हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||५||
सीमंधरा मुज मनमहि मुज तनमहि अंतरमहि मुज श्वास- श्वासे रोम-रोमे जीवननी प्रति क्षणमहि संसारना सहु बंधनो त्यागी करूं तुम साधना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना || हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||७||
मई २०१३
सीमंधरा तुज पास छे लाखो-करोड़ो देवता करे भक्ति नाटारंभ जे वळी रात-दिन तुम सेवता तेडावजे एक देव मोकली नाथ! सुणजे प्रार्थना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना || हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना || ६ ||
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सीमंधरा करुं विनती समभाव भुजने आयजे भवोभव करेलां कर्मना समुदायने प्रभु कापजे वीतरागता प्रगटावजे मुज हृदयनी अभ्यर्थना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना || हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||८

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