Book Title: Shrutsagar Ank 2013 05 028
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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लोढाधाम मंडन श्री सीमंधर जिन स्तुत्यष्टक
मुनि श्री विरागसागरजी म.सा.
सीमंधरा आ विश्वना सवि देवना पण देव छे सुर असुर किन्नर मानवो निशदिन करता सेव छे तने पामीने खुल्या प्रभु! आ द्वार मुज सद्भाग्यना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ।। हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना | 19 ||
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सीमंधरा ! तुज आँखडी निर्मल अने अविकारी छे सीमंधरा ! तुज देहडी सुवर्ण पावनकारी छे क्यारे प्रभु ! तुज सम बनुं बस एज छे मुज भावना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||२|
सीमंधरा ! सीमंधरा ! मुज दिलमहि ए जाप छे संस्मरण करता ताहरुं क्षय थाय सवि मुज पाप छे उल्लसित यो मुज आतमा हे नाथ! करी तुम दर्शना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावभी तने वंदना । । हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||३||
सीमंधरा ! तुज नयनमां अमीरस सदाये छलकतो करुणा प्रभु! तुज पामीने आतम सदा मुज मलकतो आतुरता मुज मनमहि क्यारे करूं तुज स्पर्शना हे लोढाधाम सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||
हे महाविदेह सीमंधरा ! करूं भावथी तने वंदना ||४||
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