Book Title: Shravakvrat Darpan Author(s): Kundakundacharya Publisher: Swadhyaya Sangh View full book textPage 4
________________ प्रकाशक की कलम से... परमपूज्य जिनशासनप्रभावक गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न अजातशत्रु अणगार वात्सल्यवारिधि पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकर विजयजी गरिणवयंश्री के असीम कृपापात्र शिष्यरत्न शान्तमूर्ति पूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय कुन्दकुन्द सूरीश्वरजी म. सा. ने गुरुकृपा के बल से बाल-जीवों के लिए गुजराती भाषा में एक सौ से भी अधिक उपयोगी पुस्तकों का आलेखन कर महान् उपकार किया है । हिन्दी भाषी प्रजा भी उनके गुर्जर - साहित्य का रसास्वादन कर सके, इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर वर्षों पूर्व उनके गुर्जर - साहित्य में से कुछ पुस्तकों के हिन्दी अनुवाद का कार्य हुआ था और उसमें से 'नमस्कार - चिन्तामरिण' पुस्तक का प्रकाशन भी हुआ था । नमस्कारमहामंत्र की आराधना / साधना में विशेष उपयोगी मार्गदर्शन का उस पुस्तक में सुन्दर सकलन था और इसी कारण वह प्रकाशन हिन्दी - क्षेत्र में अत्यन्त ही लोकप्रिय बना था । 60000 पूज्य आचार्य भगवन्त हिन्दीभाषी प्रजा के हितार्थं हिन्दी साहित्य को प्रकाशित कराने के लिए समुत्सुक थे परन्तु काल को कुछ और ही मंजूर था "बहुत ही अल्पकालीन बीमारी में वे सम्यक् समाधिपूर्वक स्वर्ग सिधार गए । ****** ( ३ )Page Navigation
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