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...स्या का दीका पवि. वि.
बालोकसंयोगानय कछेदकानवभिन्नचक्षुःसंयोगल्वेनापि न हेतुस्प, गौरपात, अन्धकारस्थस्योधोनस्थवस्त्वग्रहणप्रसकारच । अत पब समवापेनालोफाभावान्यस्लौकिकचाक्षुधं प्रति स्वायकछेदकारिद्वन्नसंयोगवश्चःसंयुक्तमनःप्रतियोगिकविमातीयसंयोगमदत एवं उपभूत तथा अनभिभूतरूपवान् मालोक के संयोग को कारण माना जाता है। सुवर्ण का हर सवर्णमतपीतथिषीभाग के पीसरूप से अभिभून होता है मतः सुषणगगमसंयोग उक्त प्रकार के आलोकसंयोग स्वरूप नहीं है, इसलिये उससे गहरे मापकार में सपणे केवावपात्यक्ष की आपत्ति महीं हो सकती।
यदि कहै कि-चालोकसंयोग को फिर भी व्यचाक्षुष का कारण माना जा सकता क्योंकि किसी इन्य के एक भाग में आलोकसंयोग मौर मग्यमाग में पक्षसंयोग सोने की पशा में भालोकसंयोग होते हुये भी उस व्रव्य का चाक्षुध नहुने से अग्पयाशिबार होता है- तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि मालोकसंयोग को केवल मालोकसंयोगस्वरूप से कारण न मान कर संयोग के अमन हेदकभाग से गर्यारम भालोकसंयो. गत्वकप से कारण मान लेने पर उक्त व्यभिचार का परिवार को जाता है. क्योंकि माल फिली दृश्य में भिन्न भिन्न भागोहासंयोग मार भालोकसंगांतासापर बालोकसयोग अनुखियोग के अपहनकभाग से अवछिन्न नहीं होता।
मालोकर्सयोगहेतुता का समर्थन यदि कहें कि उक्त कार से आलोपसंयोग को कारण मानने पर विनियमनाविरा होगा, क्योकि यनुसंयोग के प्रयच्छेवफभाग से भजनम्न मालोकसंयोग को कारण मानने से जैसे एक वृध्य में भिन्न भिन्न भागों द्वारा वक्षुसंयोग और मालोकसंयोग की दशा में इध्य के साक्षुषप्रत्यक्ष की भापत्ति का परिहार होता है उसी प्रकार मालेरसंयोग के मघण्छेदकभाग से मच्छिम्म चक्षु-संयोगको कारण मानने से भी होता. भता नवोनी में किसी एक मात्र में कारणता की प्राहक युक्तिरूप मिनिममना होने से दोनों को भी कारण मामने की अनिवार्यता से कार्यकारणभाष में गौरव होता है'-तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि आलोकसंयोग के अधविक भाग से भनिन्न पक्षसंयोग को कारण मानने पर मालोकस्थ पुरुष को सम्धकारस्थ इष्य के चाक्षुषप्रत्यक्ष को आपत्ति होमे से उसे कारण मानना सम्भय न होने के कारण पशुःसयोग भवरोधक माग से अवछिन्न आलेोकसंयोग को कारण मानने के पक्ष में विनिगमना सुलभ है। कहने का प्राशय यह है कि अक्षयषिगतसंयोग अध्यष से अवभिन्न होता है क्योंकि भयपाली में जो संयोग होता है वह उसके किसी भवयव द्वारा ही होता है, भतः पश्चा के साथ जो भालोक का संयोग होगा यह और चक्षु के साथ जो प्रग्य का संयोग होणा वा दोलो अक्षु के अवयव से भावच्छिम्म होंगे, इसलिधे भाकोकस्य पुरुष के पक्ष में ना मालोकर्स योग है यह बच के जिस माग से अवच्छिन्न है उसी भाग से उसके पशु-भौर भग्ध-- कारस्थ इम्य का संयोग भी है, मतः भाकाकर्सयोग के अवाछेवक भाग से अपरिजन बक्षुर्सयोग अन्धकारस्थ इष्प में सुलभ होने से आलोकस्थ पुरुष को अन्धकारस्थ ट्रम्प के साशुपमरर को भारत भापरिहार्य है।
शा. वा. २.