Book Title: Shastravartta Samucchaya Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, Badrinath Shukla
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 346
________________ स्पा० क० ठोका० हिं० अत्रैवान्येषां वार्यान्तरमाह मुखम् - शक्तिरूपं तदन्ये तु सूरयः सम्प्रचक्षते । अन्ये तु वासनारूप विचित्र तथा ॥९३॥ 1. रात अष्टम् अन्ये तु प्रत्यः शंकरूप कर्तुः प्रत्यात्मकं सम्प्रचक्षते व्यावर्णयन्ति तु पुनः सेभ्योऽप्यन्ये वासनारूपं तत् विचित्रफल - नानाविधफलजनर्क, तथा = उक्त वम् सम्प्रचक्षते ॥१६६॥ = तत्र प्राध्यपक्षपणप्रकारं प्रादेना मूलम् मन्ये त्वभिदधस्य स्वरूपनियतस्य वै । ३०३ = कर्तुर्विमान्यसम्बन्धं शक्तिकस्मिकी कुतः । ॥९७॥ श्रन्ये तु प्राववनिकाः छत्र- विचारे, पवमभिदधति । किम् 1 इत्याह = निश्चितं स्वरूपेण = आत्मत्वेन नियतस्यञ्चभविशिष्टस्य फतु, अन्यसम्बन्धम् - आत्मातिरिकहेतुसम्बन्धं विना शक्तिरास्मि ही अकस्मादुत्पत्तिका सती कुतः कथं भवेत् न फर्म चिदित्यर्थः । "शक्तियैवात्ममाश्राजन्यत्वे सति तदतिरिकाऽसाधारणकारणअन्या न स्यात्, गन्या न स्यात्" इत्यापादानं बोध्यम् ||१७|| P के कीर्तन से होनेवाले अनुष्ठनाश की भी उत्पत्ति माननी पड़ेगी क्योंकि दो कर्मों का कीर्तन होने पर एक एक कर्म का भी कीर्तन हो ही जाता है और यदि इस मापस के परिहारार्थं कर्म कीर्तनमा अन्य मरष्टनाश के प्रति अन्यकर्मकीर्तन को प्रतिबन्धक मानेंगे तो इस नवीन प्रतिबध्य प्रतिबन्धकमा की कल्पना से गौरव होगा। इस सदर्भ में यह शातव्य है कि यह सपने पराये घर की है. अतः इस पर विस्तार से विचार करना व्यर्थ है । [शक्तिरूप अथवा शासनारूप अक्षय का मत | इस कारिका में भर के डी सम्यग्ध में अन्य विद्वानों के दूसरे प्रकार के विचार are किये गये हैं। कारिका का अर्थ इस प्रकार है जैनाचार्य और नैयायिक आदि से भिन्न fear भय को कर्ता आएमा की शक्ति कहते हैं। उनका आशय यह है कि अश्वमेध मादि कर्मों से भीतक व्यय भारम गुणरूप किसी अह का जन्म नहीं होता किन्तु अश्वमेध भाति कर्मों के कर्ता में पक शक्ति होती है जो कालान्तर में उन कर्मों के फल का जनन करती है अतः त उस कर्मों से अ नामक किसी नये पदार्थ को उत्पत्ति की कल्पना निरर्थक है । को कर्ता की शक्ति कहनेवाले विद्वानों से भी अन्य कुछ ऐसे विज्ञान हैं जो मढ को मोतिद्रव्यगुणरूप या कर्ता को शक्ति न मानकर उसे पावनारूप मानते हैं और उस घासना का हो विभिन्न कमों से होनेवाले विभिन्न फलों का जनक बनाते हैं । उनका अभिगम यह है कि 'दाना' नामक एक पदार्थ है जो भता

Loading...

Page Navigation
1 ... 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371