Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ अणसायणा य१ भत्ती२ बहुमाणो३ तहय वण्णसंजलणा४ / तित्थयराई तेरस चउग्गुणा हुंति बावना // 343 // आयारो१ सूयगडेर ठाणं३ समवाय४ भगवईअंगं 5 / नायाधम्मकहाओ६ उवासगदसाओ७ सत्तमयं // 344 // अंतगडाणं च दसा८ अणुत्तरोववाइया दसा तत्तो९ / पण्हावागरणं तह१० इक्कारसमं विवागसुयं११ // 345 // अट्ठार सहस्साई पमाण इह होइ पढममंगं तु / सेसाई अंगाई हवंति इह दुगुणदुगुणाई // 346 // ओवइ१२ रायपसेणीय१३ जीवाभिगमो१४ तहेव पन्नवणा१५ / चंदस्स य१६ सूरस्स य१७ जंबूद्दीवस्स पन्नत्ती१८ // 347 // निरयावलिया१९ कप्पिय२० पुप्फिय२१ तह पुप्फचूलिओवंग२२ / वण्हिदसा२३ दीवसागरपन्नत्ती२४ मयविसेसेण // 348 // कप्प२५ निसीह२६ दसासुय२७ ववहारो२८ उत्तरज्झयणसुत्तं२९ / रिसिभासिय३० दसयालिय३१ आवस्सय३२ मंगवज्जाइं // 349 // तंदुलवेयालियया३३ चंदाविज्झय३४ तहेव गणिविज्जा३५। / निरयविभत्ती३६ आउरपच्चक्खाणा३७ इय पइन्ना // 350 // गणहरवलयं३८ देविंदनरिंदा३८ मरण४० झाणभत्तीओ४१ / पक्खिय४२ नंदी४३ अणुओगदारा४४ देविंदसंथवणं४५ // 351 // इय पणयाली सुत्ता उद्धारा पंचकप्प१ जियकप्पा२। / पिंडे ओहनिजुत्ती निज्जुत्ती भासचुण्णीओ . // 352 // पंचमहव्वयभेयो छक्कायवहो उ तेणऽणुनाओ। सुहसीलनिउत्ताणं कहेइ जो पवयणरहस्सं // 353 // आमे घडे निहत्तं जहा जलं तं घडं विणासेइ। इय सिद्धंतरहस्सं अप्पाहारं विणासेइ. // 354 // .. . 253

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