Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 745 // // 748 // दिट्ठमदिटुं च तहा२३ सिंगं च२४ कर२५ मोयणं२६ / आलिद्धमणालिद्धं२७ ऊणं२८ उत्तरचूलियं२९ // 744 // मूयं च३० ढड्डरं चेव३१ चुडलिं च३२ अपच्छिमं / बत्तीसदोस परिसुद्धं किईकम्मं पउंजए पडिक्कमणे१ सज्झाए२ काउस्सग्गा३ वराह४ पाहुणए५ / आलोयण६ संवरणे७ उत्तमढे य वंदणयं // 746 // चत्तारि य पडिक्कमणे किइकम्मा तिन्नि होंति सज्झाए। पुव्वण्हे अवरण्हे किइकम्मा चउदस हवंति // 747 // उग्घाडपोरिसीए जा राआवस्सयस्स चुन्नीए। . ववहाराभिप्पाया भणंति पुण जाव पुरिमर्द्ध पज्जुस्सवणे चउमासि पक्खिय पव्वट्ठमीसु नायव्वा / न ताओ तिहिओ जासिं उदओ सूरो न अन्नाओ रदयो सरो न अन्नाओ // 749 // पच्चक्खाणं पूया जिणिदचंदाण तासु कायव्वं / इहरा आणाभंगो आणाभंगु त्ति संमारो // 750 // सूरे अणुट्ठिए च्चिय गुरुणो चरणुज्जुयस्स णिसीयस्स / काऊण सुत्तविहिणा विणयं किइकम्ममाईयं // 751 // गिण्हइ पच्चक्खाणं उवउत्तो सांवगो व साहू वा। अणुभासंतो वयणं गुरुणो लहुत्तर (सुत्त) सरणेणं // 752 // अद्धा कालो तस्स य पमाणमद्धं तु जं भवे तमिह / अद्धा पच्चक्खाणं दसमं पुण तं इमं नेयं // 753 // नवकार१ पोरिसीए२ पुरिमड्डि३ कासणे४ गठाणे य५ / आयंबिल६ ऽभत्तद्वे७ चरिमे य८ अभिग्गहे९ विगई१० // 754 // पढमं उग्गइ सूरे उच्चरयंतो नमो पयक्खेइ / बीए पढमं पोरिसि पच्चक्खइ उग्गए सूरे // 755 // 289

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