Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ आरेण अज्जरक्खिय कालाणुन्ना उ नत्थि अज्जाणं / सामाइयवयमारोवणं च पच्छित्तदाणं च // 526 // पव्वाविओ सुहत्थी अज्जाए जक्खदिननामाए। . पव्वावणे निसेहो इत्थि सपक्खे वि अज्जाणं // 527 // पंच य वरिससए सिद्धसेण दिवायरो य जयपयडो / छच्च सए वीसहिए सक्कथुओ अज्जरक्खि पहू // 528 // सिरिवीरजिणवरम्मि मुक्खे पत्तम्मि गुरुदुरियदलणे / नवसय नऊहिं अहिए कालियसूरी समुप्पन्नो // 529 // तेण य पज्जुस्सवणं चउत्थि तह चउद्दसीएँ पडिकमणं / विहियं संघसमक्खं दसासुयक्खंधनिद्दिटुं // 530 // (भद्दनय) चउत्थीए पज्जुस्सवणं च कालयसुरीहि / सिरिसालवाहणकए कयमणुमयमेव संघस्स // 531 // पंचसए पणसीए विक्कमभूवाउ झत्ति अत्थमिओ। हरिभद्दसूरिसूरो धम्मरओ देउ मुक्खपहं // 532 // अहवा पणपन्नदससएहिं हरिसूरि आसि तत्थऽपुव्वकवी। तेरसवरिससएहि अहिएहि वि बप्पहट्टिपहू . // 533 // दुप्पसहो समणाणं फग्गुसिरी साहुणीण पच्छिमया / नाइल्लु सावयाणं सच्चसिरी सावियाणं च // 534 // बारसवरिसे जम्मो अट्ठ य वासाणि होइ परियाओ। कालं काही तइया अट्ठमभत्तेण दुप्पसहो // 535 // नयरं पियरो माया नामाई वनमाणमाऊयं / गुत्तं रयण निहीओ बलठाणं चक्किमाईणं // 536 // जम्म विणीय१ अउज्झार सावत्थी३ पंच हत्थिणपुरम्मि८ / वाणारसि९ कंपिल्ले१० रायगिहे११ चेव कंपिल्ले१२ // 537 // 270

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