Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ सुहझाण पसत्थमणो सुहसत्त पलंबमाणपाणिजुओ। निच्चल निरुद्धकाओ काउस्सग्गो हवइ एवं // 686 // घोडग१ लया य२ खंभे कुड्डे३ माले य४ सबरिवहू५ निलए७ / लंबुत्तर८ थण९ उड्डी१० संजइ११ खलिणे य१२ वायस१३ कविटे१४ सीसोकंपिय१५ मूई१६ अंगुलिभमुहा य१७ वारुणी१८ पेहा१९ / एए काउस्सग्गे हवंति दोसा इगुणवीसं // 688 // वंदणवित्ती छ निमित्त होइ सद्धाइ पंच पुण हेऊ। अन्नत्थूससिएणं इच्चाइ असक्क बारसागारा . // 689 // अगणीओ छिदिज्जा चउरो सक्का सहा असक्का य / इअ सव्वे विय सोलस सक्कत्थयपमुह पण दंडा // 690 // सक्कत्थओ य चेइयथओ य चउवीसईथओ चेव। सुत्तत्थओ.य सिद्धत्थओ य नामाइं दंडाणं .. // 691 // अरिहंता सुय सिद्धा तिन्नेव य होंति वंदणिज्जा उ। जिण एम सव्व पवयण वेयावच्चगर थुई चउरो // 692 // अरहंतदंडगाईण काउस्सग्गाण जा उ अंतम्मि। दिजंति ता थुईओ भणियं ववहारचुण्णीए // 693 // तिण्णि निसीही तिण्णि पयाहिणा तिण्णि चेव य पणामा। तिविहा पूया य तहा अवत्थतियभावणं चेव // 694 // तिदिसिनिरिक्खणविरई तिविहं भूमी पमज्जणं चेव। वण्णाइ तियं मुद्दाइ तियं च तिविहं च पणिहाणं // 695 // घरजिणहरजिणपूआवावारच्चायओ निसीहीतिगं / पुष्फक्खयथूईहिं तिविहा पूया मुणेयव्वा // 696 // होइ छउमत्थकेवलिसिद्धत्तेहिं जिणे अवत्थतिगं / सुत्तत्थालंबणओ वण्णाइतियं वियाणिज्जा // 697 // 284

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