Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 599 // आरत्तियं च भणियं देविंदत्थयपइन्नसमयम्मि। कुसुमंजली वि तह सिद्धचेइए वनिया सुत्ते // 597 // निस्सकडं जं गच्छसंतियं३ तदियरं अनिस्सकडं४ / सिद्धाययणं च५ इमं चेइयपणगं विणिद्दिटुं. // 598 // निययाइं सुरलोए भत्तिकयाइं च भरहमाईहिं / नि (स्सानि) स्सकयाइं मंगलकयमुत्तरंगम्मि वारत्तयस्स पुत्तो पडिमं कासीय चेइए रम्मे / तत्थ य थली अहेसी साहम्मियचेइयं तं तु // 600 // निस्सकडमनिस्सकडे वा वि चेइए सव्वहिं थुई तिन्नि / वेलं व चेइयाणि य नाउं.इक्किक्कया वा वि // 601 // तिन्नि वा कड्डइ जाव, थुईओ तिसिलोइया। ताव तत्थ अणुनायं कारणेण परेण य // 602 // अट्ठमीचउद्दसीसुं चेइय सव्वाणि साहुणो सव्वे। वंदेयव्वा नियमा अवसेसतिहीसु जहसत्ति // 603 // सिरि उसहसेण१ पहु वारिसेण२ सिरिवद्धमाण३ जिणनाह ! / चंदाणण जिण४ सव्वे वि भवहरा होह मह तुब्भे // 604 // अंजणगिरिसु चऊसु सोलससु दहिमुहेसु. सेलेसु। . बत्तीस रइकरेसुं नंदीसरदीवमज्झम्मि // 605 // जोयणसयदीहाइं पन्नासं वित्थडाइं काई पि। बावत्तरूसियाइं तीसुं कुलपव्वयसिरेसुं // 606 // नंदीसरि बावन्न दस य दसकुरुतरू उवरिहिं, . वेयड्डिहिं सउसयरू अट्ठ कुंडल उसुयारिहि / पंचासी मंदरिहि चारि रुयगगिरि मणरुयरिहि / तह माणुस बावन्न होंति जिणभवणा (पवरिहि) // 607 // 26

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