Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 290
________________ चुण्णिज्ज चक्कवट्टि उप्पण्णम्मि हि गणाइए कज्जे। . जइ तं न करेइ मुणी अणंतसंसारिओ होइ. . // 654 / जिणपवयणवुड्डिकरं पभावगं.नाणदंसणगुणाणं / भक्खंतो जिणदव्वं अणंतसंसारिओ होइ // 655 / / जिणपवयणवुड्डिकर पभावगं नाणदंसणगुणाणं / रक्खंतो जिणदव्वं परित्तसंसारिओ होइ // 656 // जिणपवयणवुड्डिकरं पभावगं नाणदंसणगुणाणं / वढंतो जिणदव्वं तित्थयरत्तं लहइ जीवो // 657 // समणाण सावयाण य सव्वाणुट्ठाणमूलमक्खायं / चिइवंदणमेव जओ ता तम्मि समुज्जमं कुणह // 658 // पविसेइ पंच चइउं रायककुहाइं चेइए५ इयरो। पंचविहाभिगमेणं५ दाहिणवामंगभूमिदुगेर . . // 659 // आसायणा१० य उग्गह३ नाउं इरियावहीपडिक्कमणे / पंचावीसुस्सासं काउस्सग्गं विहेऊणं२५ // 660 // पंचगं पणमेउं 5 एत्तो चिइवंदणं करे तिविहं 3 / . अट्ठावन्नं भेया एए चिइवंदणे होंति // 661 // बारस पुण अहिगारा 12 दोसा एगूणवीस उस्सग्गे३१ / छ च्चिय निमित्त होंति य३७ पंचेव य हेयवो भणिया 42 // 662 // आगारा पुण सोलस 58 दंडा पंचेव होंति नायव्वा 63 / तिनेव वंदणिज्जा 66 थुइओ पुण होंति चत्तारि 70 // 663 // तिन्निं निसीही एमाइ तीस.१०० तह संपयाओ सगणउई 197 / चिइवंदणम्मि नेयं सत्ताणउयं सयं ठाणं // 664 // अवहट्ट रायककुहाइं पंच वररायककुहरूवाई। खग्गं छत्तो वाणह मउडं तह चामराओ य // 665 // 281 .


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