Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ तेवीस सत्तनई सहस्स चुलसी य लक्ख उड्डे य।। बावत्तरि लक्खाहिय कोडीओ सत्त पायाले . // 608 // चउ वक्खारगिरी सेलिहिं चउ वर सासय जिणमंदिर नमहु / तेसट्ठी अहिय सय चारि वंतरिया णमहि सिद्धि जेम लहु वसि करहु एवं च तिरियलोए तेवट्ठिहिया सयाइं चत्तारि / जोइसवंतरियाणं संखाईयाइमेयाई // 610 // सत्ताणवइ सहस्सा लक्खा छप्पन्न अट्ठ कोडीओ। चउसय छयासियाई तियलोए चेइए वंदे // 611 // एएसु सव्वदेवा संवच्छर चाउमास जिणचवणे / दिक्खासु अ निव्वाणे करिति अट्ठाहियामहिमा // 612 // चित्तासोएसुं सियअट्ठमीउ तह पुनिमाइपज्जते / अट्ठाहिया य एया पनत्ता सासया सुत्ते / // 613 // चंदगविज्झपइन्नाउ जीवाभिगमे च पुण / गुरुविरहम्मि य ठवणा गुरु व्व सेवोवदंसणत्थं च। . जिणविरहम्मि व जिणबिंब सेवणामंतणं सहलं // 614 / / स्नो व परुक्खस्स वि जह सेवा मंतदेवयाए वा। . तह चेव परुक्खस्स वि गुरुणो सेवा विणयहेऊ . // 615 // करेमि भंते ! सामाइयं गोयमसामी भट्टारयं आमतेइ सेसा पुण अप्पणो गुरुणो, जंकिंचि अणुट्ठाणं आवस्सयमाइयं चरणहेऊ / तद्धरणं गुरुमूले गुरुविरहे ठावणापुरओ // 616 // अक्खे वराडए वा कढे पुत्थे व चित्तक़म्मे वा। सब्भावमसब्भावे ठवणारूवं वियाणाहि // 617 //

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