Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 266
________________ चउवीसा१३ चउदस१४ तेरसेव१५ तत्तो तिलक्ख जा वीरो / तदुवरि नव१६ एगासी१७ बिसत्तरी१८ सयरि१९ पन्नासा२०॥ 385 // अडयाला२१ छत्तीसा२२ इगुबत्त२३ टारसेव य सहस्सा२४ / सद्धीणमाणमेयं चउवीसाए जिणवराणं // 386 // धम्मरयणस्स जुग्गों अक्खुद्दो१ रूववं२ पगइसोमो 3 / / लोगप्पिओ४ अकूरो५ भीरू६ असढो७ सुदक्खिन्नो८ // 387 // लज्जालुओ९ दयालू१० मज्झत्थो सोमदिट्ठि११ गुणरागी१२ / सक्कह१३ सुपक्खजुत्तो१४ सुदीहदंसी१५ विसेसन्नू१६ // 388 // वुड्ढाणुगो१७ विणीओ१८ कयन्नुओ१९ परहियत्थकारी य२० / तह चेव लद्धलक्खो२१ इगवीसगुणेहिं संजुत्तो // 389 // सम्मत्तमूलिओ उ पंचाणुव्वय गुणव्वया तिन्नि / चउसिक्खावयसहिओ सावगधम्मो दुवालसहा . // 390 // अरिहं देवो गुरुणो सुसाहुणो जिणमयं मह पमाणं / इच्चाइ सुहो भावो सम्मत्तं बिंति जगगुरुणो . // 391 // जीवाइ नवपयत्थे जो जाणइ तस्स होइ सम्मत्तं / भावेण सद्दहंतो अयाणमाणे वि सम्मत्तं // 392 // मिच्छत्तं पुण दुविहं लोइयलोगुत्तरं च नायव्वं / लोइयदेवगुरूणं वंदण तव्वयणकरणाई / . // 393 // लोगुत्तरियं लोगुत्तमाण मिच्छं तु अविहिकरणाई। . तह पासत्थाईणं बंदणमाई अकज्जम्मि // 394 // धन्नाणं विहिजोमो विहियक्खप्रयासया नरा धन्ना। विहिबहुमाणी धन्ना विहिपक्खअदूसगा धन्ना // 395 // उप्पन्ने कारणम्मि किइकम्मं जो न कुज्ज दुविहं पि। पासत्थाईयाणं चउगुरुगा भारिया तस्स // 396 // . 257

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