Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ पणिहाणजोगजुत्तो पंचहि समिईहिं तीहिं गुत्तीहि / चरणायारो विवरीययाए तिण्हं पि अइयारा . // 409 // सम्ममकरणे बारस तवाइयारा तिगं तु विरियस्स। मण१ वइ२ काया३ पावप्पउत्त विरिअतिगइयारा // 410 // संकार कंखा यरं तहा वितिगिच्छा३ अन्नतित्थियपसंसा४ / परतित्थिओवसेवण५ अइयारा पंच सम्मत्ते // 411 // पढमवए अइयारा नरतिरियाणऽन्नपाणवुच्छेओ१। बंधो२ वहो य३ अइभारारोवणं४ तहय छविच्छेओ५ // 412 // सहसा कलंकदाणं१ रहदूसण२ दारमंतभेदं च३ / तह कूडलेहकरणं४ मुसोवएसो५ मुसादोसा // 413 // चोराणीयं१ चोरप्पओगर जं कूडमाणतुलकरणं३ / रिउरज्जव्ववहारो४ सरिसजुई५ तइयवयदोसा . // 414 // भुंजइ इयरपरिग्गह१ मपरिग्गहियंर थियं चउत्थवए। कामे तिव्वहिलासो३ अणंगकीला४.परविवाहो५ // 415 // जोएइ खित्तवत्थूणि१ रुप्पकणयाइ देइ सयणाणं२। . धणधन्नाइं परघरि बंधइ३ जा नियमपज्जतो // 416 // दुपयाई गब्भि गाहेइ संजोएई य कुप्पसंखं च। . अप्पधणं बहुमुल्लं करेइ पंचमवए. दोसा // 417 // तिरियं१ अहो यर उड्ढ३ दिसिवयसंखाअइक्कमे तिन्नि। / दिसिवयदोसा तह सइविम्हरणं४ खित्तवुड्ढी य 5 // 418 // अप्पकं१ दुप्पकं२ सच्चित्तं३ तह सचित्तपडिबद्धं४ / तुच्छोसहिभक्खणयं५ दोसा उवभोगपरिभोगे // 419 // कुकुइयं१ मोहरियं२ भोगुवभोगाइरेग३ कंदप्पा४ / जुत्ताहिगरण५ मेए अइयाराणत्थदंडवए. // 420 // 258.

Page Navigation
1 ... 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322