Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 17
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ पवरा१२विजयं१३कूसा१४पन्नत्ति१५निव्वाणि१६अच्चुया१७धरणी१८ वइट्ट१९ दत्त२० गंधारि२१ अंब२२ पउमावई२३ सिद्धा२४ 433 निव्वाणमंतकिरिया चउदसमेणं६ पढमनाहस्स। सेसाण मासिएणं वीरजिणिदस्स छटेणं // 434 // एगो भयवं वीरो तित्तीसाइ सह निव्वुओ पासो / छत्तीसएहि पंचहि सएहिं नेमी गओ सिद्धिं // 435 // पंचहि समणसएहि मल्ली संती उ नवसएहिं तु / अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहिं वासुपुज्जजिणो // 436 // सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साइं। पंच सयाई सुपासे पउमाभे तिन्नि अट्ठसया // 437 // दस य सहस्सेहिं उसभो सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा। निव्वाणगमणसंखा एसा जिणसव्वसाहूणें . // 438 // अट्ठावयम्मि उसभो सिद्धिगओ वासुपुज्ज चंपाए। . पावाए वद्धमाणो अद्धिनेमी उ उज्जिंते // 439 // अवसेसा तित्थयरा जाइजरामरणबंधणविमुक्का। सम्मेयसिलसिहरे वीसं परिनिव्वुया वंदे // 440 // उसभोऽजिओऽभिनंदण सुमई सुपासो जिणो य चंदाभो। सीयल सेयंसो वि य सिद्धि पत्ता उ पुव्वण्हे // 441 // संभवजिण.पउमाभो सुविही तह वासुपुज्जजिणचंदों। चत्तारि वि तित्थयरा मुक्खं पत्ता उ अवरण्हे // 442 // विमलो य अणंतजिणो संती कुंथू य मल्लि मुणिसुव्वो / नेमी पासो पत्ता निव्वाणे पुव्वराईए धम्मो अरजिणपंउमो नमी य वीरो य चरमतित्थयरो। सिद्धि संपत्ता पुण चरमे भागे य रयणीए // 444 // . 291 // 443 //

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