Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 305
________________ जातिभेदान्नैकविधानुत्तमाधममध्यमान् / . दृष्ट्वा को नाम कुर्वीत जातु जातिमदं सुधीः ? // उत्तमां जातिमाप्नोति हीनामाप्नोति कर्मतः / तत्राशाश्वतिकी जाति को नामासाद्य माद्यतु ? // 40 // अन्तरायक्षयादेव लाभो भवति नान्यथा / ततश्च वस्तुतत्त्वज्ञो नो.लाभमदमुद्वहेत् / // 41 // परप्रसादशक्त्यादिभवे लाभे महत्यपि / न लाभमदमृच्छन्ति महात्मानः कथञ्चन . // 42 // अकुलीनानपि प्रेक्ष्य प्रज्ञाश्रीशीलशालिनः / न कर्तव्यः कुलमदो.महाकुलभवैरपि किं कुलेन कुशीलस्य ? सुशीलस्यापि तेन किम् ? / एवं विदन् कुलमदं विदध्यान्न विचक्षणः - // 44 // श्रुत्वा त्रिभुवनैश्वर्यसंपदं वज्रधारिणः / पुर-ग्राम-धनादीनामैश्वर्य कीदृशो मदः ? // 45 // गुणोज्ज्वलादपि भ्रश्येद् दोषवन्तमपि श्रयेत् / कुशीलस्त्रीवदैश्वर्यं न मदाय विवेकिनाम् // 46 // महाबलोऽपि रोगाद्यैरबलः क्रियते क्षणात् / इत्यनित्यबले पुंसां युक्तो बलमदो न हि // 47 // बलवन्तोऽपि जरसि मृत्यौ कर्मफलान्तरे / अबलाश्चेत् ततो हन्त ! तेषां बलमदो मुधा // 48 // सप्तधातुमये देहे चयापचयधर्मणः / जरा-रुजादिभावस्य को रूपस्य मदं वहेत् ? // 49 // सनत्कुमारस्य रूपं भावि श्रुत्वा च तत्क्षयम् / को वा सकर्णः स्वप्नेऽपि कुर्याद् रूपमदं किल ! // 50 //

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