Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 325
________________ इत्याहोरात्रिकी चर्यामप्रमत्तः समाचरन् / यथावदुक्तवृत्तस्थो गृहस्थोऽपि विशुध्यति // 30 // . // 4 // ॥द्वाविंशतितमश्रीनेमिनाथजिनदेशना-मद्यादिदोषदर्शिका // विद्युद्विलासचपलाः श्रियः सर्वशरीरिणाम् / / संयोगा विप्रयोगान्ताः स्वप्नप्राप्तार्थसन्निभाः // 1 // गत्वरं यौवनमपि मेघच्छायासहोदरम् / अम्बुबुद्बुदकल्पानि वपूंष्यपि वपुष्मताम् // 2 // तस्मादसारे संसारे सारमत्र न किंचन। . सारं तु दर्शनज्ञानचारित्रपरिपालनम् तत्त्वानां श्रद्दधानत्वं सम्यग्दर्शनमुच्यते / यथावस्थिततत्त्वानां बोधो ज्ञानं प्रकीर्तितम् सावद्ययोगविरतिश्चारित्रं मुक्तिकारणम् / सर्वात्मना यतीन्द्राणां देशतः स्यादगारिणाम् देशचारित्रविरतो विरतानामुपासकः / भवस्वरूपं जानानः श्रावको जीवितावधि // 6 // मद्यं मांसं नवनीतं मधूदुम्बरपञ्चकम् / अनन्तकायमज्ञातफलं रात्रौ च भोजनम् आमगोरससंपृक्तद्विदलं पुष्पितौदनम् / दध्यहद्वितयातीतं कुथितान्नं च वर्जयेत् मदिरापानमात्रेण बुद्धिनश्यति दूरतः / वैदग्धी बन्धुरस्यापि दौर्भाग्येणेव कामिनी पापा: कादम्बरीपानविवशीकृतचेतसः / .. जननी हा प्रियीयन्ति जननीयन्ति च प्रियाम् . // 10 // // 8 // // 9 // 16

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