Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 4 // ॥विंशतितमश्रीमुनिसुव्रतजिनदेशना-मार्गानुसारिगुणमयी॥ क्षारोदादिव संसारादसारात् सारमुत्तमम् / उपाददीत सद्रत्नमिव धर्म महामतिः .. // 1 // संयमः सूनृतं शौचं ब्रह्माकिंचनता तपः। . . . क्षान्तिर्दिवमृजुता मुक्तिश्च दशधा स तु // 2 // निरीहो निजदेहेऽपि. स्वस्मिन्नपि हि निर्ममः / समाशयो नमस्कुर्वत्यपकुर्वति चानिशम् // 3 // नितान्तमीश्वरः सोढुमुपसर्गपरीषहान् / . मैत्र्यादिभिर्भावनाभिनित्यं भावितमानसः क्षमावान् विनयी दान्तः श्रद्धालुर्गुरुशासने / जात्यादिगुणसंपन्नो यतिधर्माय कल्पते // 5 // सम्यक्त्वमूलानि पञ्चाणुव्रतानि गुणास्त्रयः / शिक्षापदानि चत्वारि धर्मोऽयं गृहमेधिनाम् न्यायसम्पन्नविभवः शिष्टाचारप्रशंसकः। . कुलशीलसमैः सार्धं कृतोद्वाहोऽन्यगोत्रजैः // 7 // पापभीरुः प्रसिद्धं च देशाचारं समाचरन् / अवर्णवादी न क्वापि राजादिषु विशेषतः // 8 // अनतिव्यक्तगुप्ते च स्थाने सुप्रातिवेश्मिके / अनेकनिर्गमद्वारविवर्जितनिकेतनः कृतसङ्गः सदाचारैर्मातापित्रोश्च पूजकः / त्यजन्नुपप्लुतं स्थानमप्रवृत्तश्च गहिते व्ययमायोचितं कुर्वन् वेषं वित्तानुसारतः / . . अष्टभिर्धीगुणैर्युक्तः शृण्वानो धर्ममन्वहम् // 11 // // 6 // . // 10 // 312
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