Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 308
________________ // 75 // // 76 // // 77 // // 78 // // 79 // // 80 // मत्स्यादयो जलचराश्छलात् स्वापत्यभक्षकाः / बध्यन्ते धीवरैस्तेऽपि माययाऽऽनायपाणिभिः नानोपायैर्मुगयुभिर्वञ्चनप्रवणैर्जडाः / निबध्यन्ते विनाश्यन्ते प्राणिनः स्थलचारिणः नभश्चरा भूरिभेदा वराका लावकादयः / बध्यन्ते माययाऽत्युग्रैः स्वल्पकग्रासगृनुभिः तदेवं सर्वलोकेऽपि परवञ्चकतापराः / स्वस्वधर्म सद्गतिं च नाशयन्ति स्ववञ्चकाः तिर्यग्जातेः परं बीजमपवर्गपुरार्गला / विश्वासद्रुमदावाग्निर्माया हेया मनीषिभिः मल्लिनाथः पूर्वभवे कृत्वा मायां तनीयसीम् / . मायाशल्यमनुत्खाय स्त्रीभावमुपयास्यति तदार्जवमहौषध्या जगदानन्दहेतुना / / जयेज्जगद्दोहकरी मायां विषधरीमिव / आर्जवं सरलः पन्था मुक्तिपुर्याः प्रकीर्तितः / आचार्यविस्तरः शेषस्तपस्त्यागादिलक्षणः भवेयुरार्जवजुषो लोकेऽपि प्रीतिकारणम् / कुटिलादुद्विजन्ते हि जन्तवः पन्नगादिव . अजिह्मचित्तवृत्तीनां भववासस्पृशामपि / . अकृत्रिमं मुक्तिसुखं स्वसंवेद्यं महात्मनाम् कौटिल्यशङ्कुना क्लिष्टमनसां वञ्चकात्मनाम् / परव्यापादनिष्ठानां स्वप्नेऽपि स्यात् कथं सुखम् समग्रविद्यावैदुष्येऽधिगतासु कलासु च / धन्यानामुपजायेत बालकानामिवार्जवम् 299 // 81 // // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 //

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