Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
________________ // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // परद्रव्ये परस्त्रीषु मोहान्धमनसां नृणाम् / या प्रवृत्तिः सेन्द्रियाणामतन्द्राणां विजृम्भितम् पाणिपादेन्द्रियच्छेदमरणानि शरीरिभिः / प्राप्यन्ते यद्वशात्तेषां करणानां किमुच्यते विनयं ग्राहयन्त्यन्यैर्ये स्वयं करणैर्जिताः / पिधाय पाणिना वक्त्रं तान् हसन्ति विवेकिनः आ देवेन्द्रादा च कीटद्ये केचिदिह जन्तवः / विमुच्यैकं वीतरागं ते सर्वेऽपीन्द्रियैर्जिताः वशास्पर्शसुखास्वादप्रसारितकर: करी / आलानबन्धनक्लेशमासादयति तत्क्षणात् पयस्यगाधे विचरन् गिलन् गलगतामिषम् / मैनिकस्य करे दीनो मीनः पतति निश्चितम् निपतन्मत्तमातङ्गकपोले गन्धलोलुपः / / कर्णतालतलाघातान्मृत्युमाप्नोति षट्पदः कनकच्छेदसङ्काशशिखालोकविमोहितः / रभसेन पतन् दीपे शलभो लभते मृतिम् हरिणो हारिणीं गीतिमाकर्णयितुमुद्धरः / आकर्णाकृष्टचापस्य याति. व्याधस्य वेध्यताम् एवं विषय एकैकः पञ्चत्वाय निषेवितः / कथं हि युगपत् पञ्च पञ्चत्वायं भवन्ति न ? तदिन्द्रियजयं कुर्यान्मनःशुद्ध्या महामतिः / यां विना यमनियमैः कायक्लेशो वृथा नृणाम् अनिजितेन्द्रियग्रामो यतो दुःखैः प्रबाध्यते / तस्माज्जयेदिन्द्रियाणि सर्वदुःखविमुक्तये 305 // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // // 27 //
Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354