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प्रकाशकीय निवेदन
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'प्रा० श्रीमद्विजयलावण्य सूरीश्वरज्ञानमन्दिर' बोटाद की श्रीज्ञानोपासक समिति' की तरफ से पूर्व अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हो गये हैं ।
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अब प्रस्तुत यह ' षड्दर्शनदर्पणम् ' नाम का दार्शनिक ग्रन्थ को प्रकाशित करते हुए हमारी समिति को और हमको अत्यन्त खुशी हैं।
इस ग्रन्थ के प्रणेता शासन सम्राट् समुदाय के सुप्रसिद्ध-जैनधर्म दिवाकरशासन रत्न - तीर्थप्रभावक - राजस्थान दीपक- मरुधर देशोद्धारक - शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण - बालब्रह्मचारी प० पू० आचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा० हैं । इन्हों ने इस ग्रन्थ में षड्दर्शन का वर्णन संस्कृत भाषा में अति सुन्दर किया है । दर्पण में प्रतिबिम्ब को तरह यह ग्रन्थ होने से 'षड्दर्शनदर्पणम् ' नाम सार्थक हैं।
इस ग्रन्थ का सम्पादन कार्य प० पू० प्रा० म० श्री के पट्टधर पू० उपाध्याय श्रीविनोदविजयजी गरिणवर म० सा० ने सुन्दर किया हैं ।
इस ग्रन्थ की सुन्दर प्रस्तावना लिखने वाले न्यायतीर्थ-व्याकरणसाहित्याचार्य पण्डितप्रेवर मेथिल श्रीसुरेशभाजी ने प्रुफ संशोधन कार्य भी अच्छा किया है इसलिये धन्यवाद पात्र है ।
इस ग्रन्थरत्न के प्रकाशन में द्रव्य सहायकों का आभार मानते हैं । - प्रकाशक