Book Title: Sarvagna Kathit Param Samayik Dharm Author(s): Kalapurnsuri Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 5
________________ ( ४ ) निश रत रहकर जीवन में सामायिक धर्म की यथार्थ साधना करने का निरन्तर पुरुषार्थ कर रहे हैं । पूज्य आचार्य महाराज को "सामायिक धर्म" के विषय में लिखने की प्रेरणा एवं मार्ग-दर्शन देने वाले पन्यास प्रवर श्री भद्रंकरविजयजी महाराज भी एक विरल कोटि के साधु पुरुष थे । प्रस्तुत पुस्तक को प्राकृत भारती के पुष्प ५६ के रूप में प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है । आशा है, पाठक और साधक इसका स्वागत करेंगे और लाभान्वित होंगे । पारसमल भंसाली नरेन्द्र प्रकाश जैन पार्टनर मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली Jain Educationa International अध्यक्ष जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर For Personal and Private Use Only देवेन्द्रराज मेहता सचिव प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर www.jainelibrary.orgPage Navigation
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