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निश रत रहकर जीवन में सामायिक धर्म की यथार्थ साधना करने का निरन्तर पुरुषार्थ कर रहे हैं ।
पूज्य आचार्य महाराज को "सामायिक धर्म" के विषय में लिखने की प्रेरणा एवं मार्ग-दर्शन देने वाले पन्यास प्रवर श्री भद्रंकरविजयजी महाराज भी एक विरल कोटि के साधु पुरुष थे ।
प्रस्तुत पुस्तक को प्राकृत भारती के पुष्प ५६ के रूप में प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है । आशा है, पाठक और साधक इसका स्वागत करेंगे और लाभान्वित होंगे ।
पारसमल भंसाली
नरेन्द्र प्रकाश जैन
पार्टनर मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली
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अध्यक्ष
जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर
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देवेन्द्रराज मेहता सचिव
प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर
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