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भोजन वास्तव में तीन तरह का होता है । सात्विक यानि वह जिस को खाने से शरीर स्वस्थ होता है, बरे विचार मन में नहीं उठते, चित्त को शान्ति मिलती है और बुद्धि बढ़ती है, जैसे दूध, फल, मेवा, शाक, अनाज, इत्यादि ।
दूसरे प्रकार का भोजन होता है राजसी । इस को खाने से सुस्ती बढ़ती है, पाचन शक्ति बिगड़ती है और बुद्धि भी कमजोर हो जाती है। राजसी भोजन लोग स्वाद के लिए खाते हैं उन को जीभ के स्वाद के पीछे यह ध्यान नहीं रहता कि ऐसा भोजन उन के शरीर में क्या गुण या अवगुण पैदा कर सकता है । खूब मसालेदार चाट पकौड़ी, कुल्फी मलाई, तली हुई चटपटो चीजें यह सब राजसी भोजन में गिनी जाती हैं। इसमें पैसा भी अधिक खर्च होता है और गुण भी कम होता है।
तीसरा, और सब से घटिया किस्म का भोजन होता है तामसिक जिस को खाने से मन में उत्तेजना पैदा होती है, बुरी भावनाएं पैदा होती हैं और आदमी का स्वभाव पशुओं जैसा बन जाता है। शराव, मांस, शहद, गूलर, इत्यादि तामसिक भोजन है । ऐसा भोजन मन और बुद्धि दोनों को हानि पहुंचाने वाला होता है।
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