Book Title: Saral Manav Dharm Part 01
Author(s): Mahendra Sen
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

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Page 51
________________ (४) वेश्यागमन-जो स्त्री केवल धन कमाने के लिए किसी भी पुरुष के साथ रमण करती है, उसे वेश्या कहते हैं। ऐसी स्त्रियों के चक्कर में पड़ कर आदमी कंगाल हो जाता है, स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और शरीर में गंदी-गंदी बीमारियां लग जाती हैं। (५) शिकार-मौज-शौक के लिए या मांस खाने के लिए बेचारे निरपराध भयभीत हिरन, पक्षी, आदि को मारना शिकार कहलाता है । संसार में जैसे आदमी को जीने का हक है वैसे ही पशु-पक्षी कोई भी मरना नहीं चाहता। उन को अकारण मारना निरी निर्दयता है। (६) चोरी-रक्खी हुई, गिरी हुई या भूली हुई किसी भी दूसरे की चीज को विना उस के स्वामी की प्राज्ञा के लेना चोरी कहलाता है। चोरी किया हुआ धन कभी रह नहीं सकता और चोर को कठोर राजदंड भोगना पड़ता है। चोर के मन में सदा दूसरे की चीज उड़ाने की धुन रहती है और जिस की चीज चुराई जाती है उस को अत्यन्त दुःखित होना पड़ता है। (७) पर नारी सेवन-यह भी वेश्या सेवन की भांति ही घृणित व्यसन है। विलासिता के वा दूसरे की स्त्री पर बुरी दृष्टि रखने वाला व्यक्ति व्यभिचारी

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