Book Title: Saral Manav Dharm Part 01
Author(s): Mahendra Sen
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

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Page 57
________________ बनते चले गए | जैसे उपजाऊ धरती में वीजे हुन ही पनप जाता है, इसी तरह संस्कारी बालक में सद्गुण झट जड़ पकड़ लेते हैं । गांधी जी का एक दोस्त था जिस में कई बुरी आदतें थीं । उन के माता-पिता को उस लड़के का साथ विल्कुल पसन्द नहीं था । पर भोले बालक गांधी जी उस को चालवाजी में ऐसे फंसे कि उसे ही अपना सच्चा दोस्त समझने लगे। इस मित्र ने गांधी जी को यह अच्छी तरह समझा दिया कि हम लोग इसी लिए कमजोर हैं कि हम मांस नहीं खाते और इसी लिए मुट्ठी भर अंग्रेज हम पर शासन करते हैं । वे मांस खाते हैं इस लिए बलवान हैं । और यह कि मांस खाने वाले निडर होते हैं । चूंकि गांधी जी स्वयं डरपोक थे और चोर, भूत व सांप के डर से अंधेरे में जाते डरते थे, वह उस मित्र की बातों में आ गए। उन के मन में यह बात घर कर गई कि देश के सब लोग मांस खाने लगें तो देश जल्दी आाजाद हो जाएगा । गांधी जी जानते थे कि मांस खाना उन के मातापिता कभी सहन नहीं करेंगे। इस लिए उस मित्र के भुलावे में प्राकर एक भटियारे की दुकान में उन्होंने मांस खाया। उन्हों ने लिखा है, "मांस चमड़े जैसा लग

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