Book Title: Saral Manav Dharm Part 01
Author(s): Mahendra Sen
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

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Page 30
________________ . .. है । यह सारे देश की रक्षा के काम आए इस से __ ज्यादा मेरे लिए और क्या सौभाग्य होगा? महाराणा प्रताप-दानवीर भामाशाह अाप धन्य हैं । जिस धन के पीछे कैकेयी ने राम को चौदह वर्ष वनों में भटकाया, जिस धन के लिए वनवीर ने अबोध राजा उदयसिंह का घात करने का असफल प्रयत्न किया और जिस धन के पीछे आदमी क्याक्या नहीं करता, उसी धन को श्राप तिनके की तरह त्याग रहे हैं । आप की उदारता धन्य है। आप महान् हैं । आप के इस एहसान को देशवासी कभी न भूलेंगे । इतिहास में आप का नाम स्वर्णा क्षरों में लिखा जाएगा। भामाशाह- (विनय से) इस साधारण कर्त्तव्य पालन की इतनी तारीफ न कीजिए राजन् । यह धन इस भले काम में लगे, इस से अधिक प्रसन्नता और संतोप की वात मेरे लिए और क्या हो सकती महाराणा प्रताप-भामाशाह, आज आपने मुझे नया जीवन दिया है। मैं अव मेवाड़ के उद्धार के लिए दुगने उत्साह से दृढ़ प्रतिज्ञ हूं। (सैनिकों से) वीर सहचरों। भामाशाह की इस २६

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