Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दरूपमाला. [३ - पडना बीआ--- गुरुं. तहआ-- चउत्थी (३) उकारांतपुलिंग 'गुरु' (गुरु) शब्दः । एकवचन. बहुवचन. गुरवो, गुरओ, गुरउ, गुरू, गुरुणो. गुरुणो, गुरू. गुरुणा. गुरूहि, गुरूहि, गुरूहिं. गुरुणो, गुरुस्स. गुरूण, गुरूणं. गुरुणो, गुरुत्तो, गुरुत्तो, गुरूओ, गुरूउ, गुरूओ, गुरूउ, गुरूहिन्तो, गुरूसुन्तो. गुरूहिन्तो. छट्ठी- गुरुणो, गुरूस्स. गुरूण, गुरूणं. सत्तमी-- गुरुम्मि. [गुरुसि गुरूसु, गुरूसुं. सबोहण- हे गुरू, गुरु. गुरवो, गुरओ, गुरउ, गुरू, गुरुणो. एवम्-साहु, बंधु, भिक्खु, पहु, इंदु, इत्यादयः । पंचमी-- (४) 'ऋ'-कारान्तपुल्लिंग 'कत्तार-कत्तु' (क) शब्दः । एकवचन. बहुवचन. पढमा... कत्ता. कत्तारो. कत्तारा, कत्तवो, कत्तओ, कत्तउ, कत्तू, कत्तुणो. १ 'क'२।। शना 'ऋ'नो प्रातभा विशेष साना 'कन आर ने समयवाय ना को अर याय छे. तेभर प्रथमः દ્વિતીયાના એકવચન સિવાય બધે જ ને ૩ થાય છે. " भ-दायार दाउ (दातृ), पिअर पिउ (पितृ). For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 127