Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
१८]
- दहिणा.
बोहण- हे दहि.
पदमा
S
तआ- महुणा.
बोहण - हे महु.
www.kobatirth.org
दही, दही, दहीणि.
एवम् - वारि ( वारि), सुरहि (सुरभि ) इत्यादयः ।
-04
पदमावीआ-- ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३) उकारांतनपुंसकलिंग 'महु' (मधु ) शब्द: ।
एकवचन.
बहुबच्चन. महूहूँ, महई, महणि.
महूहि, महूहि, महहिं.
कत्तारं.
शेषं 'मुणि' शब्दवत्.
aste, दही, दहीहिं. दही,
संक्षिप्तप्राकृत
शेषं 'गुरु' शब्दवत्.
इआ - कत्तारेण, कत्तारेणं,
कत्तूणा.
बोहण - कत्तार.
एवम् - जाणु ( जानू ), अंसु (अश्रु ) इत्यादयः ।
-*-*
(४) 'कत्तार - कत्तु' (कर्त्तृ) शब्दः ।
एकवचन.
बहुवचन.
कत्ताराई, कत्ताराई, कत्ताराणि. कत्तइँ, कत्तूई, कत्णि. कत्तारेहि, कसारेहिं, कत्तारेहिं. कहि, कन्तूहिं, कत्तूहिं. कत्ताराईं, कत्ताराहं, कत्ताराणि, कत्तूइँ, कत्तू, कत्तूणि.
शेषं
पुल्लिंगवत्.
संस्कृत सिद्ध प्रयोग उपरथी महु, दहि, वारि वगेरे पशु थाय छे,
महइँ, महई, महणि.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127