Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ ] संक्षिप्राकृत सरआ. ५ सरअ (शरद्) शब्दस्य रूपाणि पुल्लिंगे भवन्ति । एकवचन. बहुवचन. ५. सरओ. वी. सरअं. सरआ. सरए. नं. हे सरअ, सरओ, सरआ. सरा. शेर्प-जिण' शब्दवत्. एवं-भिसअ (भिषज् ) इत्यादयः । एकवचन. ६ स्त्रीलिंगे 'गिरा' (गिर) शब्दस्य रूपागि । बहुवचन. प. गिरा. गिराउ, गिराओ, गिरा. बी. गिरं. गिराउ, गिराओ, गिरा. सं. हे गिरे, गिरा. गिराउ, गिराओ, गिरा. शेष-'रमा' शब्दवत्. ७ पुल्लिंगे गामणी (ग्रामणी) शब्दस्य रूपाणि । एकवचन. बहुवचन. प, गामणी. गामणउ, गामणओ, गामणी, गामणिणो. श्री. गामणि. गामणिणो, गामणी. नं. हे गामणि, गामणउ, गामणओ, गामणिणो, गामणी. शेषं--'मुणि' शब्दवत्, For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127