Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दरूपमाला. एकवचन. कदाचित् 'आउस' शब्दस्य नपुंसकेपि रूपाणि भवन्ति । बहुवचन. म आउसं. आउसाइँ,आउसाई, आउसाणि. सं, हे आउस. आउसाइँ,आउसाई, आउसाणि. शेष-'नाण' शब्दवत्. ३ उकारान्तपुल्लिंग 'नेहालु' (स्नेहालु) शब्दः । एकवचन. बहुवचन. प, नेहालू. नेहालबो, नेहालउ, नेहालो. नेहालुणो, नेहालू. की, नेहालुं. नेहालुणो, नेहालू. सं. हे नेहालू, नेहाल. नेहालवो, नेहालड, नेहालओ, नेहालुणो, नेहालू. शेष-'गुरु' शब्दवत्. ४ पाउस (प्रावृष्) शब्दस्य रूपाणि पुल्लिंगे भवन्ति । एकवचन. बहुवचन. प. पाउसो. पाउसा. बी. पाउसं. पाउसा, पाउसे. सं. हे पाउस, पाउसो, पाउसा. पाउसा. शेषं-'जिण' शब्दवत्. १ पाउस (प्रावृष), सरअ (शरद्) 1 शोभा अन्य व्य नमा अ माछे, ५छ। अन्त थवाथी तेनां इस विंगमा ‘जिण' શબ્દ જેવાં થાય છે. For Private And Personal Use Only

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