Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah
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शब्दरूपमाला.
एकवचन.
कदाचित् 'आउस' शब्दस्य नपुंसकेपि रूपाणि भवन्ति ।
बहुवचन. म आउसं.
आउसाइँ,आउसाई, आउसाणि. सं, हे आउस.
आउसाइँ,आउसाई, आउसाणि. शेष-'नाण' शब्दवत्.
३ उकारान्तपुल्लिंग 'नेहालु' (स्नेहालु) शब्दः । एकवचन.
बहुवचन. प, नेहालू.
नेहालबो, नेहालउ, नेहालो.
नेहालुणो, नेहालू. की, नेहालुं.
नेहालुणो, नेहालू. सं. हे नेहालू, नेहाल. नेहालवो, नेहालड, नेहालओ,
नेहालुणो, नेहालू. शेष-'गुरु' शब्दवत्.
४ पाउस (प्रावृष्) शब्दस्य रूपाणि पुल्लिंगे भवन्ति । एकवचन.
बहुवचन. प. पाउसो.
पाउसा. बी. पाउसं.
पाउसा, पाउसे. सं. हे पाउस, पाउसो, पाउसा. पाउसा.
शेषं-'जिण' शब्दवत्.
१ पाउस (प्रावृष), सरअ (शरद्) 1 शोभा अन्य व्य नमा अ
माछे, ५छ। अन्त थवाथी तेनां इस विंगमा ‘जिण' શબ્દ જેવાં થાય છે.
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