Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संक्षिप्तप्राकृत त. नवहि, नवहि, नवहिं. च. छ. नवण्ह, नवण्हं. नवत्तो, नवाओ, नवाउ, नवाहिन्तो, नवासुन्तो. नवसु, नवसुं. (१०) दह, दस (दशन) शब्दस्य त्रिलिंगे समानरूपाणि । बहुवचन. दहहि, दहहिँ , दहहिं, दसहि, दसहिँ , दसहि. च, छ. दसह, दसण्हं. दहत्तो, दहाओ, दहाउ, दहाहिन्तो, दहासुन्तो, दसत्तो, दसाओ, दसाउ, दसाहिन्तो, दसासुन्तो. दहसु, दहमुं. दससु, दसमुं. एवं-एगारह-बारह-तेरह-चउद्दह-चउद्दस-पभरह-सोलस-- सत्तरह-अट्ठारह-इस्यादयः. (११) स्त्रीलिंगे वीसा (विशति) शब्दस्य रूपाणि । एकवचन. बहुवचन. घ. वीसा. पीसाओ, वीसाउ, वीसा. For Private And Personal Use Only

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