Book Title: Sankshipta Prakrit Shabda Roopmala
Author(s): Chandrodayvijay
Publisher: Zaverchand Ramaji Shah

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दरूपमाला ॥ [२७ का, की (किम्) शब्दस्य स्त्रीलिङ्गरूपाणि । एकवचन. बहुवचन. ५. .का. काओ, काउ, का, कीआ, कीओ, कीउ, की. ची. . कं. काओ, काउ, का, कीआ, कीओ, कीउ, की. न.. काभ, काइ, काए, काहि, काहिं, काहिं, कीअ, कीआ कीइ, कीए. कीहि, कीहिं, कीहिं. च. । किस्सा, कीसे, कास, केसिं, काण, काणं, कासिं, छ. काअ, काइ, काप. कास. कीअ, कीआ, कीण, कीए. काअ, काइ, काप, कम्हा, कत्तो, काओ, काउ, कत्सो, काओ, काउ, काहिन्तो, कासुन्तो. काहिन्तो. कीअ, कीआ, कीइ, कीए, कित्तो, कीओ, कीउ, कित्तो, कीओ, कीउ, कीहिन्तो. कीहिन्तो, कीसुन्तो. काअ, काइ, काए, कासु, कासुं. कीअ, कीआ, कीइ, कीए. कीसु, कीसु. क (किम् ) शब्दस्य नपुंसकलिङ्गरूपाणि । एकवचन. बहुवचन. पं. बी.-किं. काई, काइँ, काणि, शेष पुल्लिंगवत्. For Private And Personal Use Only

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