Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01 Author(s): Kamtaprasad Jain Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 9
________________ (११) वृजेशक वृहद् बन शब्दार्णव-पं० बिहारीलालजी चैतन्य । विर० विद्वद्गलगाला-पं० नायूरामजी प्रेमी (बंबई)। भव० अप्लणवेलगोला, रा० ब० प्रो० नरसिंहाचार एम०ए० (मद्रास). श्रेच० श्रेणिकचरित्र (सूरत)। सकौ सम्भक्त्व कौमुदी-(वम्बई)। सजै० प्रनातन जैनधर्म-अनु० कामताप्रसाद (कलकत्ता)। मजह सक्षिप्त जैन इतिहास-प्रथम भाग-कामताप्रसाद (सूरत)। सडिौ० धम डिस्टिन्गुइड जैन्न-उमरावसिंह टाक (भागरा) । संप्राजैस्मा० संयुक्त प्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक-प्र० शीतलप्रसादजी। स्साइजै० स्टडीज इन साउथ इन्डियन जैनीज्म-मो. रामास्वामी भायंगर । सतू० सम्राट अकवर और सूरीश्वर-मुनि विद्याविजयजी (आगरा)। सक्षदाएइ०प्रम क्षत्री ट्राइप इन एशियन्ट इन्डिया डॉ. विमलावरण ली। सास-साम्स ऑफ दी ब्रदरेन । मुनि सुत्तनिपात (S. B.E.)। हरित-दरिवंशपुराण-श्री जिनसेनाचार्य (कलकत्ता)। हॉज-हॉर्ट ऑफ जैनीज्म-मिसेज स्टीवेन्डन (लंदन) । -हिस्ट्री ऑफ दी आर्यन रूल इन इन्डिया-हैवेल । हिग्ली०=हिस्टॉरीकल ग्लीनिगम-डॉ. विमलाचरण लॉ० (लता) हिटे-हिन्दू टेल्स-जे० जे० मेयर्स । हिाव० हिन्दू ड्रमेटिक वम-विलसन् । हिप्रीइफि० हिस्ट्री ऑफ दी प्री-बुद्धिस्टिक इंडियन फिलॉसफीबारमा ( कलकत्ता) हिलिजै०८ हिस्ट्री एण्ड लिट्रेचर ऑफ जैनीम-बारोदिया (१९०१)। हिवि० हिन्दी विश्वकोष-नगेन्द्रनाथ वसु (कलकत्ता)। क्षत्रीलेन्स० क्षत्रीक्लैन्स इन बुविस्ट इंडिया-डॉ०विमलाचरण लॉ० ।Page Navigation
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