Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 35
________________ ७] संक्षिप्त जैन इतिहास । दनवार विराजमान करदी गई थी और यही निट में भगवान चरणचिद भी है।'पप्रकार नाहिग माम पनाये हुये फेरस्नान स्थानके वर्णनन म मानी भारत की कमी बैठती है और उसमे यह भ्रम होगा कि यही भान भगवान महावीरनीके विनमान प्राप्त स्नेहा दिवान स्नुि मेन नमाजमें यह स्थान ऐयन एक अतिशय नीर्थरूपमें 'महावीरमी के नामसे मान्य है । तिसपर पासोमें वाया दमा फेव शान मान कौसाम्बीसे अगाडी की टोना उचित है. गोछि उचपनीमे कौसाम्धीको जाते हुये उपरोक्त मतिरायक्षेत्र पीछे मानद नाना है । और श्वेतावर शास्त्र जगह आग सादिको बाट देशमें स्थित बतलाते हैं। ___ मत यह केवल ज्ञान स्थान मगधदेगमें की होना युक्तिसंगत है । किन्हीं दिगम्बर मन शास्त्रों में उमे मगरदेशमें बतलाया भी है। लादेशका विनयभूमि प्रान्त मानाके बिहार ओड़ीसा प्रातस्थ छोटा नागपुर डिवीजन के मानमृम और सिंहभूम मिलों इतना माना गया है । स्व० नंदुलाल डे महाशयने सम्मेदशिखर पर्वतसे २५-३० मीलकी दुरीपर स्थित मरियाको गम्भक प्राम प्रगट किया है जो अपनी कोयलोकी खानोंके लिये प्रसिद्ध है और बराकर नदीको ऋजुकूला नदी सिद्ध की है। १-चीर मा० ३ पृ. ३१७ पर हमने उमसे उसी स्थानको केवलज्ञान स्यान अनुमान किया था। २-३. Ja. I, p. 968. - जैश-पृ०-1-1--दहिया-मा० ४.१०.४५-४६ व वीर

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