Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 61
________________ भगवान महावीरका निर्वाणकाल। [१७३ नन्दधोने विसरी राय, तीन वर्ष जु पिता घर थाय । आठ वर्षना अमयकुमार, राजगृही आयो चितधार ॥१५॥ चार वर्षमे न्याय जु किया, बारह वर्षतणां युव भया। श्रेणिक वर्ष छवीस मंझार, महावीर केवलपद धार ॥५६॥ ___ अधिकार १५ ।' इससे प्रकट है कि श्रेणिकको १२ वर्षकी उम्र में देशनिकाला हा और रास्तेमें वह बौद्ध हुये । दो वर्ष तक नन्दश्रीके यहां रहे। बादमें ७ वर्ष उनने भ्रमणमें बिताये और २२ वर्षको उनमें उन्हें राज्य मिला | तथापि उनकी २६ वर्षकी अवस्थामें भगवान महावीरको केवलज्ञानकी प्राप्ति हुई थी। इससे प्रत्यक्ष है कि भ० महावीरके सर्वज्ञ होने और धर्मप्रचार भारम्भ करने के पहले ही म बुद्ध द्वारा बौद्धधर्मका प्रचार होगया था। यही कारण है कि देशसे निर्वासित होनेपर श्रेणिक बौद्ध होसके थे। इस दशामें न शास्त्रानुसार भी हमारी उपरोक जीवन-संबंध व्याख्या ठीक प्रगट होती है। साथ वीर निर्वाणकाल ई० पूर्व ५४५ माननेसे म०का केवलज्ञान प्राप्ति समय ई०पू० ५७५ ठहरता है । इस समय श्रेणि. ककी अवस्था २६ वर्षकी थी अर्थात् श्रेणिकका जन्म ई०पू० ६८० में प्रगट होता है। राज्यारोहण कालसे २८ वर्ष उपरान्त राज्यसे मलग होकर उनकी मृत्यु हुई माननेपर ई० पू० ६९२ उनका मरणकाल सिद्ध होता है । इतिहाससे इस तिथिका ठीक सामञ्जस्य बैठता है। अतएव भगवान महावीरका निर्वाणकाल ई. पु० ५४६ मानना उचित है। वर्तमान प्रचलित वीरनिर्वाण संवतका शुद्ध रूप २४७० होना उचित है।

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