Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 10
________________ शुद्धाशुद्धिपत्र। १७ .... सक्षदाए इ. उपदेशका पहला खण्ड (६००-१८४ई. पूर्व) सक्षदाए इ. उस देशका इस्पादि इत्यादि असन्ती अस्सके कारमहकल १०१८ शताब्दिक प्रसेनजी घसंव मजिसम० स० भवन्ती भरसक कारमाइकिल १९१८ शातानीक प्रसेनजीत संबध मज्झिम ७०२ २१ पृ. २१ पाटलि स्वप्रवासवदत्ता 3-ऑदि . रखनेवाले थे। थी । संख्या १५ १४ २११-११ पाटील स्वमवासदत्ता ३-अहिद रखनेवाली थी थी। १ संस्था २० मम० ५ परिधि में फैला बतलाया कोल्लाग ८ द्वादशाङ्क २३ , मम० परिधिमें फैला बतलाता कोलाग द्वादशाक्ष ४.

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