Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 21
________________ १८] संक्षिप्त जैन इतिहास । हुमा था; किन्तु उसका अन्त परस्परमें सन्धि होकर होगया था।' कहते हैं कि इसी सन्धिके उपरान्त श्रेणिका विवाह कुमारी चेलनौके साथ हुआ था। सम्राट श्रेणिक विम्बसारने अपने बढ़ते हुए राज्यवनको देखकर ही शायद एक नई रानपानी-नवीन रानगृहकी नींव डाली थी। उनने अपने पड़ोसके दो महाशक्तिशाली राज्योंकौशल और वैशालीसे सम्बन्ध स्थापित करके अपनी राजनीति कुशलताका परिचय दिया था-इन सम्बन्धों से उनकी शक्ति और प्रतिष्ठा अधिक बढ़ गई थी। ____ आधुनिक विद्वानों का मत है कि सम्राट विम्बसारने सन् ई०, से पूर्व ५८२ से १५४ वर्ष तक कुल २८ वर्ष राज्य किया था। किन्तु बौद्ध ग्रन्थोंमें उन्हें पन्द्रह वर्षकी अवस्था सिंहासनारूढ़ होकर १२ वर्ष तक राज्य करते लिखा है। (दीपवंश ३-१६-१०) वह म० बुद्धसे पांच वर्ष छोटे थे ।* फारस (Persis) का वादशाह दारा (Dalias) इन्हींका समकालीन था और उसने सिंधुनदीवर्ती प्रदेशको अपने राज्यमें मिला लिया था। किन्तु दाराके उपरांत चौथी शताब्दि ई० ५०के भारम्भमें नर फारसका साम्राज्य दुर्वल होगया, तर यह सब पुनः स्वाधीन होगये थे। इतनेपर भी इस विजयका प्रभाव भारतपर स्थायी रहा । यहा एक नई लिपि -कारमाकिल छेवच, १६१८, पृ० ७॥ २-अहिड०, पृ. ३३। ३- अध०, पु० ॥ ४-ऑहिइ०, पृ. ४५ ॥ * मि. काशीप्रसाद जायस्वालने श्रेणिकका राज्य काल ५१ वर्ष १६.१-५५२ ई. पूर्व) लिखा है। कौशायोके परन्तप शतासिक व श्रावस्तीके प्रसेनजीतसमकालीन राजा थे। जीव मोसो भा० १.१४॥

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