________________ ग्धव्यभिचारी है पृष्ठांक विषयः | पृष्ठांकः विषयः 156 शब्दएकत्वप्रत्यभिज्ञा में बाधाभाव की आशंका 172 अबाधितत्व अनुमान के प्रामाण्य का मूल 157 गकारादिवर्ण में भेदप्रतीति निर्बाध है नहीं है उत्तरपक्ष 174 कर्ता का प्रस्मरण अनुमानप्रमाणरूप नहीं 158 गकारादि में भेदप्रतिभास उपचरित नहीं हो सकता 156 व्यंजकध्वनियों के धर्मों का शब्द में उपचार | 174 वेद में कर्तृ सामान्य का स्मरण निर्बाध है होने की शंका | 175 वेदकर्तृ स्मरण मिथ्या होने पर कर्तृ-अस्म१५६ अमूर्त का मूर्त में प्रतिबिम्ब सम्भव नहीं रण भी मिथ्या होगा . 159 महत्त्वादिधर्मभेदप्रतिभास यथार्थ होने से | 175 कतृस्मरण की छिन्नमूलता का कथन असत्य गादिभेद सिद्धि | 176 अभावविशिष्ट कर्तृ-अस्मण हेतु निर्दोष नहीं 160 परार्थोच्चारण से शब्दनित्यत्व कल्पना 177 कर्तृ स्मरणयोग्यत्वविशिष्ट हेतु होने की असंगत ___आशंका 161 सदृशत्वेन गादि का ग्रहण असंगत नहीं / 178 स्मरणयोग्यघटित हेतु अन्य आगम में संदि१६१ शब्दपौद्गलिकत्व के विरुद्ध अनेक आपत्ति मीमांसक 176 कर्ता के स्मरणपूर्वक ही प्रवृत्ति होने का 162 मीमांसक मतं में भी उन समस्त दोषों का ___नियम नहीं है प्रवेश तदवस्थ-उत्तरपक्ष 179 शासन में अपौरुषेयत्व का असंभव होने से 163 सादृश्य से अर्थबोधपक्ष में दी गयी प्रापत्तियों . जिनकर्तकता-सिद्धि का प्रतिकार 163 अपौरुषेयवादी वर्णादि चार में से किसको 180 सर्वज्ञवादप्रारम्भः नित्य मानेगा? | 180 सर्वज्ञ की सत्ता में नास्तिकों का विवाद१६४ पुरुषस्वातंत्र्य निषेधमात्र में अभिप्राय होने की शंका | 181 अनुपलब्धि हेतु की असिद्धि का निराकरण 165 वर्ण नित्य-अपौरुणेय होने पर लोकायत- 182 सर्वज्ञ का उपलम्भ अनुमान से अशक्य शास्त्रप्रामाण्य आपत्ति 102 धर्मीसम्बन्ध का ज्ञान प्रत्यक्ष-अनुमान से 165 वैदिक और लौकिक शब्दों में अन्तर नहीं है .. अशक्य 166 अनुमान से वेद में पौरुषेयत्वसिद्धि 183 सर्वज्ञसिद्धि में असिद्ध-विरुद्ध-अनैकान्तिक 166 अप्रामाण्याभावरूप विशेषता अकिचित्कर दोषत्रयो 167 अनैकान्तिक दोष उत्तरपक्षी के हेतु में 184 सर्वपदार्थ में ज्ञानप्रत्यक्षत्वंसाध्यक अनुमान 168 उत्तरपक्षी के हेतु में विरुद्धादिदोषाभाव नहीं का निराकरण 168 हेतु में प्रकरणसमत्व का आपादान पूर्वपक्ष 184 प्रमेयत्व हेतु का तीन विकल्प से विघटन 166 वेदाध्ययनवाच्यत्व हेतु की समीक्षा उत्तरपक्ष | 185 शब्दप्रमाण से सर्वज्ञ को सिद्धि अशक्य 170 तथाभूतपुरुष से अन्य सर्वज्ञादि कोई पुरुष / 186 उपमानाधिप्रमाण से सर्वज्ञ सिद्धि अशक्य .. असम्भाव्य नहीं है / 187 सर्वज्ञाभावसूचक प्रमाण क्या है ? 171 अपौरुणेयत्व की सिद्धि दुष्कर-दुष्कर 1 88 निवर्तमान प्रत्यक्ष सर्वज्ञाभावसाधक नहीं 172 अपौरुणेयत्व में अभावप्रमाण का असंभव / 189 सर्वज्ञाभाव अनुमानगम्य नहीं है - पूर्वपक्ष