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इसे कितना समय लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता । फिर भी प.पू. गुरुदेव अपनी मंडली के साथ यहाँ से दि. 13-07-1970 को निकलने की भावना रखते हैं बाकी तो जैसा उदय । आषाढ़ शुक्ला नवमी के दिन यहाँ से निकल कर दसवीं के दिन हम्पी पहुँच जायेंगे । एकादशी को आश्रम का स्थापना दिन प्रतिवर्ष अत्यन्त उत्साहपूर्वक मनाया जाता है । अतः उस दिन अर्थात् दि. 15-07-1970 को पूज्यश्री की वहाँ उपस्थिति अत्यन्त आवश्यक है । आप सब को भी उस प्रसंग पर उपस्थित रहने के लिए हार्दिक निमंत्रण है । सब को साथ लेकर आप अवश्य हम्पी पधारें, आपको भी आनन्द होगा ।
पू. मुरब्बी श्री चन्दुलालभाई को तथा उनके पूरे परिवार को प. पू. गुरुदेव तथा पू. माताजी ने अनेकानेक हार्दिक आशीर्वाद कहे हैं । उनको भी आषाढ़ शुक्ला 11 दि. 15-07-1970 को वहाँ उपस्थित रहने के लिए विनंति ।
• श्री सहजानंदघन गुरूगाथा •
यहाँ बरसात थोड़ी थोड़ी शुरु हो गई है । दिन में अधिकतर आकाश साफ़ रहता है । वहाँ के क्या हाल हैं ? याद करने वाले सभी मुमुक्षु भाई बहनों को प. पू. गुरुदेव तथा प. पू. माताजी के अनेकानेक आशीर्वाद ।
श्रीमान् प्रतापभाई,
(18)
( पू. गुरुदेव की निश्रा से )
संत चरणरज हीराचंद के प्रणाम
(107)
हम्पी
दि. 14-07-1970
सादर जयगुरुदेव ।
आपका पत्र मिला । हकीकत ज्ञात हुई । आपकी भावना सफल हो । आत्मसिद्धि का कार्य समय मिलने पर करें ।
प.पू. गुरुदेव का स्वास्थ्य वैसा ही है । दो-तीन दिन से दर्द बढ़ा है । पस निकलता है और फिर से भर जाता हैं । प.पू. माताजी का स्वास्थ्य नरम-गरम रहता है । पूज्यश्री के शरीर में वेदना अधिक है ऐसा लगता है, फिर भी दोनों समय प्रवचन देते हैं । सत्संगियों का आनाजाना जारी है । आप सब को दोनों महापुरुषों ने हार्दिक आशीर्वाद कहे हैं, स्वीकार करें ।
भवदीय सुखलाल के प्रणाम